THE 48 LAWS OF POWER (FULL)
Robert Greene
इंट्रोडक्शन
कौटिल्य ने एक बार कहा था “एक धनुषधारी का बाण किसी को मारने में एक बार चूक सकता है परंतु एक कूटनितीज्ञ अपनी कूटनिती के बल पर गर्भ में पल रहे शिशु तक की हत्या कर सकता है”।
आप कौन हैं, इस बात से फ़र्क नहीं पड़ता, लाइफ में आगे बढ़ने के लिए आपको पावर की ज़रुरत होती है । पावरफुल बनने का मतलब है अपना माइंडसेट भी चेंज करना। आपको अपने इमोशंस को मैनेज करना और सब्र रखना सीखना होगा। अगर आप लगातार प्रैक्टिस करते रहेंगे तो ये 48 लॉज़ naturally आपकी ज़िंदगी का हिस्सा बन जाएंगे। तो जो सबसे बेस्ट हैं उनसे सीखीए और इस समरी के साथ टॉप तक पहुँचने की अपनी जर्नी आज से ही स्टार्ट कीजिए।
Never Outshine the Master
निकोलस फौक्वेट, लुई XIV के शाशन काल के दौरान फ़्रांस के फ़ाईनेंस मिनिस्टर थे। उन्हें पैसा, ऐशो-आराम और ठाठ-बाट भरी ज़िंदगी पसंद थी। वो काफ़ी बुद्धिमान होने के साथ-साथ राजा के चहेते भी थे। फौक्वेट इस उम्मीद में थे कि प्रधानमंत्री की मौत के बाद राजा लुई उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाएंगे लेकिन लुई XIV ने इस पद को ही समाप्त करने का फैसला कर लिया था। इस बात से फौक्वेट को एहसास हुआ कि राजा के साथ उनके करीबी रिश्तों में खटास पड़ गई है। इसलिए उन्होंने सोचा क्यों ना लुई XIV का विश्वास दोबारा हासिल करने के लिए उनके सम्मान में एक भव्य दावत का आयोजन किया जाए। फौक्वेट ने घोषणा कर रखी थी कि वो ये दावत अपने महल के पूरे होने की खुशी में दे रहे हैं जिसका नाम था “वॉक्स-ले-विकोम्टे”। लेकिन असल में वो अपने राजा को श्रद्धांजलि देना चाहते थे जो उनके सबसे खास मेहमान थे। यूरोप के सबसे अमीर और ताकतवर लोग इस दावत में आए थे। फेमस प्लेराईट और एक्टर मोलीरे ने खासतौर पर इस मौके के लिए एक नाटक तैयार किया था जो वो रात खत्म होने से पहले पेश करने वाले थे।
फौक्वेट की पार्टी की शुरुवात हुई थी सेवन कोर्स मील के साथ जिसमें एशिया के एक्जोटिक --
फूड के अलावा बहुत सी नई डिश परोसी गई थी। संगीतकारों ने राजा के स्वागत में गाने बजाए जबकि मेहमान एक-दूसरे से मिलने और खाने-पीने में व्यस्त थे। फौक्वेट राजा लुई XIV के साथ महल के बगीचे में पधारे। फौक्वेट के आलीशान महल और दावत के इंतजाम ने सारे मेहमानों का दिल जीत लिया था। सबकी एक ही राय थी ये उनकी ज़िंदगी की अब तक की बेहतरीन दावत थी। हालांकि, दूसरे दिन सुबह ही गार्ड के रॉयल कैप्टेन ने फौक्वेट को गिरफ़्तार कर लिया। उन पर देश का खज़ाना चुराने का ईल्ज़ाम लगा था जिसके चलते उन पर मुक़दमा चलाया गया।
जबकि सच तो ये था कि खुद लुई XIV के कहने पर फौक्वेट ने जनता का पैसा चुराया था, लेकिन फौक्वेट को दोषी करार देकर पायरेनीस पर्वत में बनी एक जेल कोठरी में डाल दिया गया। उसने अपने जीवन के अंतिम बीस साल उसी जेल में बिताए।
लुई XIV, जिसे सन किंग के नाम से भी जाना जाता था, असल में बेहद घमंडी और निर्दयी राजा था। वो हमेशा सबके आकर्षण का केंद्र बना रहना चाहता था। उसके सिवा कोई और दौलत, शोहरत और ऐशो-आराम में उससे आगे रहे, ये वो बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकता था। यही वजह थी कि वो फौक्वेट से दिल की ग़राइयों से नफ़रत करता था और इसलिए उसने एक साजिश के तहत उसे अपने रास्ते से हटा दिया था। उसने कॉलबर्ट नाम के एक मक्कार आदमी को अपना नया फ़ाईनेंस मिनिस्टर नियुक्त किया। कॉलबर्ट की पूरी कोशिश यही रहती थी कि खज़ाने का ज्यादा से ज़्यादा पैसा लुई XIV की जेब में जाए। राजा ने इस पैसे से एक आलीशान महल बनवाया जो फौक्वेट के महल से भी ज़्यादा भव्य था। ये महल” पैलेस ऑफ़ वर्साय” के नाम से मशहूर हूआ। लुई XIV ने उन्हीं आर्कीटेक्ट, डिजाइनर्स और लैंडस्केप आर्टिस्ट को काम सौंपा था जिन्होंने फौक्वेट के लिए काम किया था। वर्साय में, राजा लुई ने फौक्वेट से भी ज़्यादा शानदार दावतें दी।
फौक्वेट को लगा कि अपने खूबसूरत महल और शानदार दावत से वो राजा लुई XIV का दिल जीत लेगा। उसे लगा इससे उसके अच्छे taste और ऊंची हैसियत का पता चलेगा जिससे ये साबित हो सकेगा कि वही अगला प्राइम मिनिस्टर बनने के लायक है। लेकिन राजा को यही बात चुभ गई थी। उस रात उसने देखा कि उसके अपने लोग और यार-दोस्त फौक्वेट को उससे ज़्यादा तवज्जो दे रहे थे। उनके आकर्षण का केंद्र वो नहीं बल्कि फौक्वेट था। उस रात लुई XIV को फौक्वेट के सामने अपने कमतर होने का एहसास बुरी तरह चुभा और उसके लिए यही सबसे वाजिब वजह थी फौक्वेट को रास्ते से हटाने की।
अमीर और ताकतवर लोग राजा, रानियों की तरह होते हैं। वो अपने लाइफ के स्टेटस को हमेशा बरकरार रखना चाहते हैं। वो कभी ये नहीं चाहते कि बुद्धि और चार्म के मामले में कोई उनसे आगे निकले। तो ये सोचना एक बड़ी गलती होगी कि आप अपनी काबिलियत दिखाकर अपने मालिक को खुश कर पाएंगे। भले ही वो सामने से आपकी तारीफ़ करे लेकिन उसके बाद वो फ़ौरन आपको हटाकर उस शख्स को काम पर रख लेंगे जिससे उन्हें कम खतरा हो।
भले ही आप अपने मालिक से आगे हों तो भी इस बात को ज़ाहिर ना होने दें। हमेशा याद रखें कि आपकी कमाई और पोजीशन उनके दम पर है। भले ही आप उनकी चापलूसी करें पर अपने असली इरादे कभी ज़ाहिर ना होने दें। जैसे मान लो, आप किसी टॉपिक पर अपने बॉस से ज़्यादा नॉलेज रखते हैं लेकिन ये बात उनके सामने ज़ाहिर ना करें वर्ना वो इनसिक्योर फ़ील करेंगे। कोई छोटी-मोटी गलती करके अपने बॉस से मदद मांगे। उन्हें ऐसा जताएं जैसे आपको सारे ग्रेट आइडीयाज़ उन्हीं की वजह से आते हैं। सारा क्रेडिट उन्हें लेने दें। अपने मास्टर को स्पॉटलाईट में रहने दें। उन्हें सारी तारीफ़ बटोरने दें और सबकी नज़र में छाने दें। इसका मतलब ये नहीं है कि आप कमज़ोर हैं बल्कि आप सिर्फ अपनी ताकत को छुपा रहे हैं और यही आगे चलकर एक दिन आपको पावर तक ले जाएगी। अगर आप अपने मास्टर को शाईन करने देते हो तो उन्हें इनसिक्योर फ़ील कराकर इसका खामियाज़ा भुगतने के बजाए आप सिचुएशन को कंट्रोल में रख सकते हो।
Never Put Too Much Trust in Friends, Learn How to Use Enemies
माइकल iii जब बायज़ेंन्टिन साम्राज्य के शासक बने तब वो कम उम्र के लड़के थे। उनकी माँ को सज़ा के तौर पर भिशुओं के आश्रम में भेज दिया गया और उसके प्रेमी की हत्या कर दी गई। ये साजिश रची थी माइकल के अंकल बर्दास ने। वो तेज़ दिमाग का महत्वाकांक्षी आदमी था। बर्दास ने रानी थियोडोरा से गद्दी छीनकर उसके बदले उसके बेटे माइकल iii को राजा बना दिया था। माइकल iii झूठे, कातिल और शंडयंत्रकारी लोगों से घिरे हुए थे। ऐसे में उन्हें किसी सलाहकार की ज़रूरत थी जिस पर वो भरोसा कर सकें। माइकल ने अपने खास दोस्त, बेसिलियस को चुना जो शाही अस्तबल का हेड था। बेसिलियस को राजनीति और सरकार के मामले में खास अनुभव नहीं था लेकिन वो कईं बार माइकल के प्रति अपना प्यार और वफ़ादारी साबित कर चुका था।
माइकल और बेसिलियस कुछ साल पहले मिले थे। माइकल एक बार जब अस्तबल में गया तो एक घोड़ा अपनी रस्सी छुड़ाकर भागने लगा। बेसिलियस जो एक किसान परिवार से था, तब एक नौजवान नौकर हुआ करता था। उसने मौके पर माइकल की जान बचा ली। माइकल उसकी बहादुरी और ताकत से बहुत प्रभावित हुआ। उसने बेसिलियस को तरक्की देते हुए घोड़ों के ट्रेनर से अस्तबल का हेड बना दिया। माइकल ने बेसिलियस को शहर के सबसे बढ़िया स्कूल में भेजा जहां उसने कोर्ट के तौर-तरीके सीखे। बेसिलियस जो कुछ था माइकल की वजह से था। नौजवान राजा ने भी सोचा कि बेसिलियस को चीफ़ काउंसलर बनाने का उसका फैसला एकदम सही है। माइकल ने अपने राजदरबारियों की सलाह को दरकिनार करते हुए अपने अंकल बर्दास को चुनने के बजाए अपने खास दोस्त को चुना था। बेसिलियस को सही ट्रेनिंग दी गई और कुछ ही वक्त बाद वो माइकल को हर ज़रूरी फैसले में सलाह देने लगा.
इसमें परेशानी सिर्फ इतनी थी कि बेसिलियस हमेशा और ज़्यादा पैसे माँगता रहता था और अपने फायदे की बात पहले सोचता था। जल्द ही माइकल ने उसकी सैलरी तिगुनी कर दी। उसने बेसिलियस को लॉर्ड भी बना दिया और उसकी शादी अपनी रखैल यूडोक्सिया से करवा दी। जबकि माइकल के अंकल बर्दास सेना के हेड बन गए।
बेसिलियस ने माइकल के कान भरना शुरू किया कि बर्दास उसके खिलाफ़ साजिश रच रहा है। उसने माइकल को ये यकीन दिलाया कि बर्दास ने उसे गद्दी पर इसलिए बैठाया है ताकि वो उसे कंट्रोल कर सकें और उसका असली मकसद खुद गद्दी हथियाना है। बेसिलियस ने उसके इतने कान भरे कि माइकल ने अपने ही अंकल को मौत की सज़ा सुना दी। शहर में एक घुड़दौड़ रखी गई। जब भीड़ उमड़ी तो बेसिलियस ने बर्दास के पास जाकर उसे चाकू मारा और मौत के घाट उतार दिया। उसके बाद बेसिलियस ने खुद को सेना का हेड बनाने की मांग रखी। उसका कहना था कि वो बागियों पर लगाम कसेगा और राज्य की देख-रेख करेगा। माइकल ने उसकी बात मान ली। कुछ ही सालों में अपनी एय्याशियों के चलते माइकल पाई-पाई का मोहताज़ हो गया। उसने बेसिलियस से वो पैसा वापस करने को कहा जो उसने उसे सालों पहले दिया था। लेकिन बेसिलियस साफ़ मुकर गया। इससे माइकल सकते में आ गया। अब जाकर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। घोड़ों के अस्तबल में काम करने वाले जिस लड़के बेसिलियस की उसने मदद की थी, आज उससे ज़्यादा अमीर और ताकतवर बन चुका था। उसके पास माइकल से ज़्यादा पैसा था और आर्मी और सीनेट में उससे ज़्यादा यार-दोस्त थे।
एक रात नशे में धुत्त माइकल की जब नींद खुली तो उसने देखा कि सिपाहियों ने उसे चारों तरफ से घेरा हुआ है। उन्होंने माइकल को खंजर घोंपकर मौत के घाट उतार दिया और बेसिलियस वहीँ खड़ा सब कुछ देखता रहा। उसने खुद को नया राजा घोषित कर दिया। बेसिलियस ने अपने भाले की नोंक पर माइकल का सिर लटकाकर शहर भर का चक्कर लगाया।
असल में माइकल उन उपकारों के भरोसे अपने भविष्य के प्रति निश्चिंत हो गया था जो उसने बेसिलियस पर किए थे, लेकिन असल में उन्हें एहसास तक नहीं हुआ था कि वो एक सांप को पाल रहे थे। माइकल ने उसे सब कुछ दिया पर बेसिलियस को लगता था कि ये सब उसने खुद कमाया है। माइकल को उसी वक्त सावधान हो जाना चाहिए था जिस वक्त बेसिलियस ने उसे उसका पैसा लौटाने से इंकार कर दिया था। लेकिन उनकी आँखों पर दोस्ती की पट्टी बंधी थी और जल्द ही अपनी इसी गलती की वजह से उन्हें अपनी जान गवानी पड़ी।
सच तो ये है कि आप अपने दोस्तों को उतना नहीं जानते जितना आप सोचते हैं। बहस और लड़ाई-झगड़े से बचने के लिए वो आपसे सहमत हो जाते हैं। कहीं आपको बुरा ना लगे, ये सोचकर वो असली बात आपसे छुपाते भी हैं। वो आपके जोक्स पर हसेंगे भी चाहे अंदर से उन्हें बिल्कुल मज़ा ना रहा हो। आपके दोस्त आपसे कहेंगे कि आप अच्छे लग रहे हो और आप उनकी बात का यकीन कर लोगे जबकि असल में सच्चाई कुछ और ही होती है।
सबसे अल्टीमेट टेस्ट है, अपने फ्रेंड को हायर करना। आप उन्हें जितने ज़्यादा गिफ्ट और फेवर देते हैं उतना ही वे आपके प्रति कड़वाहट और ईर्ष्या महसूस करते हैं और फिर एक दिन ऐसा आएगा जब वो आपको धोखा दे जाएंगे।
लोग किसी के एहसान तले दबना नहीं चाहते। उन्हें लगता है कि वो सब कुछ पाना deserve करते हैं। आपके फ्रेंड्स ये बात कभी नहीं मानेंगे कि उन्हें दौलत और पोजीशन आपकी वजह से मिली है। ईतिहास ऐसी कईं धोखेबाजी की कहानीयों से भरा पड़ा है। इससे आपको हैरानी नहीं होनी चाहिए चाहे आप हमेशा अपने दोस्तों की मदद करते आए हों, लेकिन जब आपको मदद की ज़रूरत होगी तो कोई साथ खड़ा नहीं होगा। इसलिए बेहतर है कि आप लोगों को फ्रेंडशिप के आधार पर नहीं बल्कि स्किल्स देखकर हायर करें। माइकल iii को भी चीफ़ काउंसलर के तौर पर बेसिलियस को नहीं बल्कि अपने अंकल बर्दास को चुनना चाहिए था। उसके अंकल उसे सही डायरेक्शन दे सकते थे और तब शायद वो जिंदा बच जाता।
दुश्मन दोस्तों से ज़्यादा अच्छे एसेट होते हैं। ये ऐसा रिश्ता है जो फीलिंग्स से ज्यादा आपसी फायदे के आधार पर बनता है। आप अपने दुश्मन से नफ़रत कर सकते हो लेकिन जब तक आप दोनों को फायदा हो रहा है, आप आपस में हाथ मिलाने से भी परहेज़ नहीं करोगे। इसके अलावा दुश्मनों का होना आपको आलसी बनने से रोकता है क्योंकि आपके कॉम्पटीटर्स आपको अलर्ट और फोकस्ड बनाए रखते हैं। आप एक मिनट भी आराम से नहीं बैठ पाओगे क्योंकि आपको हमेशा यही डर सताता रहेगा कि कब वो आपको मात दे दें और कम से कम आपको इतना तो पता होगा कि आपके दुश्मन कितने पानी में हैं, कम से कम वो आपके कुछ दोस्तों की तरह पीठ पीछे धोखा तो नहीं देंगे।
Conceal Your Intentions
निनॉन डी लेनकलोस (Ninon de Lenclos) 17 वी शताब्दी में फ्रांस की एक बेहद मशहूर डांसर थी। उस दौरान, उसे एक जवान और खूबसूरत काउंटेस को मार्क्विस डी सेविग्ने की प्रेमिका बनाने में मदद करने के लिए काम पर रखा गया था। निनॉन उस वक्त 26 साल की थी। उसे प्यार-मोहब्बत और सेक्स जैसे मामलों में महारत हासिल थी। दूसरी तरफ मार्क्विस सिर्फ 22 साल का नौजवान था। वो काफ़ी खूबसूरत मगर प्यार में नाकाम आशिक था।
निनॉन ने मार्क्विस के प्यार की नाकाम कोशिशों के किस्से सुने। आखिरकार एक दिन तंग आकर उसने सोचा कि बस बहुत हो गया, अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा। सबसे पहले, निनॉन ने समझाया कि प्यार एक जंग है जहां मार्क्विस एक जनरल था जो गढ़ को जीतने की कोशिश कर रहा था, यानी कि खूबसूरत काउंटेस का दिल जीतने की कोशिश कर रहा था। इसलिए उसे अपना हर कदम सोच-समझकर उठाना होगा और परफेक्ट तरीके से सब कुछ करना होगा। इसके बाद उसने मार्क्विस से कहा कि उसे सब कुछ शुरुवात से करना होगा। उसे राजकुमारी के पास ऐसे जाना होगा जैसे कि उसे राजकुमारी में कोई दिलचस्पी नहीं है। उसे उसके साथ एक दोस्त की तरह पेश आना होगा। इससे राजकुमारी कंफ्यूज़ हो जाएगी और उसका असली मकसद समझ नहीं पाएगी। उसके बाद उसे राजकुमारी के दिल में जलन पैदा करनी होगी।
निनॉन ने मार्क्विस को पेरिस में एक खूबसूरत लड़की के साथ एक शानदार पार्टी अटेंड करने भेज दिया। इस लड़की की बहुत सारी खूबसूरत सहेलियाँ थी तो उन सबने मार्क्विस को घेर लिया था। जहां-जहां वो जाता पेरिस की एक से एक खूबसूरत औरतें उसके पास जमा हो जाती थीं।
इससे राजकुमारी को जलन होने के साथ-साथ ये एहसास भी होता कि मार्क्विस के लिए बहुत सी औरतें पलके बिछाए बैठी हैं। निनॉन ने उसे समझाया था कि औरत उस मर्द की तरफ ज्यादा अट्रैक्ट होती है जिसे बहुत सी औरतें चाहती हों। इससे उसके अहम को संतुष्टि मिलती है कि जिसे हर औरत चाहती है, वो मर्द बस उसे चाहता है।
एक बार राजकुमारी के मन में जलन पैदा हो जाए और मार्क्विस पर उसका दिल आ जाए तो उसके बाद बारी थी उसे seduce करने की। निनॉन ने मार्क्विस को बताया कि वो ऐसी पार्टीज़ में ना जाए जहां राजकुमारी उसके आने की उम्मीद कर रही हो. इसके बजाय उसे उन जगहों पर जाना होगा जहां राजकुमारी अक्सर जाती है लेकिन वो पहले कभी नहीं गया हो। इस तरह राजकुमारी कंफ्यूज़ हो जाएगी और उसका अगला कदम भाँप नहीं पाएगी. इससे राजकुमारी के मन में और ज्यादा एक्साईटमेंट बढ़ेगी। इस काम में कईं हफ्ते लग गए। निनॉन, मार्क्विस और राजकुमारी पर अपने जासूसों के जरिए नज़र रखती थी. उसे पता चला कि राजकुमारी मार्किस के चुटकुलों पर खूब हँसती है और बड़े गौर से उसकी बातें सुनती है और जहां कोई पार्टी वगैरह होती, राजकुमारी की आंखे सिर्फ मार्क्विस को ढूंढती और जब वो नज़र नहीं आता तो वो उसके बारे में पूछताछ करने लगती।
निनॉन ने बड़े यकीन के साथ कहा कि एक-दो महीने के अंदर ही राजकुमारी को भी मार्क्विस से प्यार हो जाएगा। लेकिन उनका सारा प्लान चौपट हो गया। मार्क्विस कुछ दिन बाद राजकुमारी के घर गया। निनॉन ने उससे जो कुछ कहा था वो सब कुछ भूल गया था। इसके बजाए उसने वो कर डाला जो उसका दिल बोल रहा था। उसने राजकुमारी का हाथ अपने हाथ में लेते हुए उससे अपने प्यार का इज़हार कर दिया। ये सुनकर राजकुमारी हैरान रह गई। उसने बहाने से खुद को छुड़ाया और वहाँ से चली गई और उसके बाद वो पूरी शाम उससे कन्नी काटती रही। उसके बाद से उसने मार्क्विस से मिलना बंद कर दिया।
उस वक्त के महान पॉलिटीशियन, थिंकर्स और राईटर्स निनॉन डी लेनक्लोस के लवर रह चुके थे. वो प्यार के बारे में सब कुछ जानती थी। उसके लिए सिडक्शन एक गेम था जिसे स्किल के साथ अप्लाई किया जाना चाहिए। उम्र बढ़ने के साथ-साथ निनॉन की रेपूटेशन भी बढ़ती जा रही थी। फ्रांस के सबसे अमीर घराने अपने बेटों को उसके पास प्यार का सबक सीखने के लिए भेजते थे।
औरत और मर्द के बीच फ़र्क होता है लेकिन निनॉन जानती थी कि बात जब सिडक्शन की आती है तो दोनों बराबर होते हैं। लोग seduce किया जाना पसंद करते हैं। लेकिन सिडक्शन सजेशन्स पर डिपेंड करती है। आपको खुलकर अपने इरादे नहीं जताने चाहिए। आपको मिक्स्ड सिग्नल देने चाहिए ताकि सामने वाला कंफ्यूज़ भी हो जाए और एक्साईट भी।
ज़रा सोचो, राजकुमारी को कैसा फ़ील हुआ होगा। कुछ चालों के बाद उसने देखा कि मार्क्विस एक गेम खेल रहा है जो उसे अच्छा लगा। उसे पता नहीं था कि उसका अगला कदम क्या होगा जिससे उसकी एक्साईटमेंट और भी बढ़ गई थी। राजकुमारी को कंफ्यूज़ और जेलेस होने में मज़ा आ रहा था क्योंकि ये एक रिश्ते में बंधकर सिक्योर फ़ील करने और बोर महसूस करने से कहीं ज्यादा बेहतर था।
अगर मार्क्विस राजकुमारी को इंतजार कराता तो शायद उसके मन में भी प्यार की भावनाएं जागती। लेकिन जब उसने अचानक से “प्यार” शब्द का इज़हार किया तो सब गड़बड़ हो गया। उसने अपने पैशन को सीधा ज़ाहिर कर दिया था जिसमें गेम और आर्ट की कमी थी। उसने खासतौर पर अपने इरादे ज़ाहिर कर दिए थे कि वो उसे seduce करने की कोशिश कर रहा है। इसके बाद राजकुमारी की नज़र में उसकी इमेज एकदम बदल गई। उसे लगा कि वो बस उसका मज़ा ले रहा है और यही सोचकर वो शर्मिंदा हो गई।
बहुत से लोग खुली किताब की तरह होते हैं। जो उनके मन में होता है बोल देते हैं और अपने इरादे ज़ाहिर कर देते हैं। अपनी फीलिंग्स और प्लान के बारे में बताना आसान है। लेकिन अपनी एक्साईटमेंट को छुपाकर रखना और खुद पर कंट्रोल करना मुश्किल होता है।
आप शायद सोच रहे होंगे कि पूरी तरह से ईमानदार बनकर ही आप लोगों का दिल जीत सकते हैं। लेकिन असल में ऐसा नहीं है। कईं बार आप जो ईमानदारी से बोलते हैं, वो लोगों को बुरा भी लग सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप सोच समझकर ही अपने शब्दों का इस्तेमाल करें और कड़वी सच्चाई को ज़ाहिर ना होने दें। बहुत ज्यादा ईमानदार होने से ये संभावना भी ख़त्म हो जाती है कि लोग आपसे डरेंगे या आपका सम्मान करेंगे। ऐसे लोगों को दुनिया ज्यादा इंपोर्टेन्स नहीं देती।
तो इसलिए अपने सही इरादे छुपाकर रखो। इंसान हमेशा फर्स्ट इंप्रेशन और अपीयरेंस पर यकीन कर लेता है। जो हम देखते और सुनते हैं, उस पर हमेशा शक करना इंसान के लिए नामुमकिन है। लोगों को यकीन दिलाओ कि आपका गोल क्या है जबकि आपके असली इरादे कुछ और होने चाहिए। इससे लोग कंफ्यूज़ हो जाएंगे और समझ नहीं पाएंगे कि आप असल में क्या कर रहे हो। इस बीच, आप अपनी मर्ज़ी से वो काम करने के लिए आज़ाद होंगे जो आप असल में चाहते हो।
Always Say Less Than Necessary
सन किंग लुई XIV के दरबार में उनके मंत्रियों और राज दरबारियों के बीच तर्क-वितर्क होता रहता था। । रोज़ ही किसी ना किसी मुद्दे को लेकर वो आपस में बहस करते थे। आखिरकार दो रीप्रेजेंटेटिव्स को चुना गया जो राजा के विरोधी पक्ष से बात कर सकें।
मंत्री और दरबारी अपने-अपने नज़रिए को लेकर भी बहस करते थे। राजा के सामने टॉपिक पेश करने का बेस्ट टाइम और जगह क्या होनी चाहिए? उन्हें किस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए? राजा को खुश करने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए? वगैरह-वगैरह।
तो आखिरकार रीप्रेजेंटेटिव्स को राजा के पास भेजा जाता है। राजा लुई XIV दोनों की बात बड़े ध्यान से सुनते हैं लेकिन अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने देते। जब दोनों रीप्रेजेंटेटिव्स अपनी बात खत्म कर लेते हैं तो राजा दोनों की तरफ देखते और बस इतना कहते” मैं देख लूँगा” और वो कमरे से बाहर चले जाते।
मंत्री और दरबारीयों को कभी इस बात की भनक तक नहीं लगती थी कि राजा लुई XIV के दिमाग में क्या चल रहा है। वो उनसे कभी भी अपने दिल की बात शेयर नहीं करते थे। जब उस फैसले को अमल में लाया जाता तब उन्हें राजा के फ़ैसले के बारे में पता चलता था।
लुई XIV का मशहूर तकिया कलाम था” मैं ही राज्य हूँ” । वो बहुत कम बोलते थे पर जब भी बोलते तो अधिकार और सम्मान के साथ बोलते। उनके सामने कोई भी फ़रियाद रखी जाती, वो हमेशा यही जवाब देते” मैं देख लूँगा”।
लुई XIV शुरू से रहस्मयी और अपने इरादे छुपाकर रखने वालों में से नहीं थे बल्कि बचपन में वो काफी बातूनी और एक्सप्रेसीव हुआ करते थे। लेकिन जब वो राजा बने तो लुई XIV अपनी फीलिंग्स और थॉट्स को एक मास्क के नीचे छुपाकर रखने लगे।
कोई भी लुई XIV को खुश करने के लिए उनकी चापलूसी नहीं कर सकता था क्योंकि कोई जानता ही नहीं था कि उन्हें क्या चीज खुश करेगी। राजा खुद हमेशा खामोश रहते थे। जबकि उनके आस-पास के लोग काफी हद तक अपने इरादे ज़ाहिर कर देते थे क्योंकि वो लगातार बोलते रहते थे। बाद में लुई XIV उसी इनफॉर्मेशन को यूज़ करके उनका फायदा उठाते थे। उनके चुप रहने की वजह से ही सारी सिचुएशन उनके कंट्रोल में रहती थी।
इंसान की फितरत होती है कि वो हर बात को एक्सप्लेन और इन्टरप्रेट करना चाहता है। अगर आप चुप हैं या सोच-समझकर बात करते हैं तो लोग आपकी खामोशी को अपने हिसाब से मतलब देने लगेंगे और इस तरह वो खुद के बारे में और अपनी कमजोरियों के बारे में ज़्यादा ज़ाहिर कर देंगे।
अगर आप ज्यादा बात नहीं करोगे तो वो आपके मिस्टीरियस comments के बारे में सोचते रहेंगे कि आपने क्या बोल दिया। छोटे जवाब आपको ज्यादा बुद्धिमान और फिलोसोफ़िकल बनाते हैं। लेकिन आपको कुछ ऐसा भी नहीं बोलना है जो बेवकूफी से भरा या खतरनाक हो। एक बार बात आपके मुंह से निकली नहीं कि फिर वापस नहीं ली जा सकती। तन्ज़ करने से बेहतर है कि चुप रहा जाए।
जैसे example के लिए, मशहूर विजुअल आर्टिस्ट एंडी वॉरहोल ने एक बार कहा था” मेरी खामोशी मुझे और भी ज्यादा ताकत देती है.” वो जर्नलिस्ट को ऐसे मिस्टीरियस और उलझे हुए जवाब देते थे कि किसी कि समझ में नहीं आता था। वो दिमाग खुजाते रह जाते पर उनके शब्दों की गहराई को नाप नहीं पाते थे। लेकिन एंडी के comments का असल में कुछ खास मतलब नहीं होता था।
वो अपने आर्टवर्क के बारे में भी कम ही बात करते थे। एंडी दूसरों को उनका मतलब निकालने देते। उन्होंने एक बात सीख ली थी कि वो जितना कम बोलेंगे उतना ही ज्यादा उनके आर्टवर्क की बात होगी और उतनी ज्यादा वैल्यू उसे मिलेगी।
So Much Depends on Reputation—Guard It with Your Life
1841 के दौरान पी.टी. बार्नम एक महान शोमैन के तौर पर अपनी रेपूटेशन बनाने की कोशिश कर रहे थे। वो न्यू यॉर्क में अमेरिकन म्यूज़ियम खरीदना चाहते थे और उसे अपना एंटरटेंनमेंट सेंटर बनाना चाहते थे। लेकिन प्रॉब्ल्म ये थी कि उनके पास इसके मालिकों को देने के लिए $15,000 डॉलर नहीं थे।
इसके बजाय, पी. टी. बार्नम ने उन्हें कुछ गारंटी के बदले में म्यूज़ियम बेचने के लिए मना लिया। उनका वर्बल एग्रीमेंट हुआ। लेकिन म्यूज़ियम ने लास्ट मिनट में उन्हें बेचने से मना कर दिया। उन्होंने उसे पेले म्यूज़ियम के मालिकों को बेचना ज़्यादा मुनासिब समझा।
इससे बार्नम को काफी बुरा लगा। म्यूज़ियम के मालिकों ने बताया कि पेले की एक रेपूटेशन है जबकि उन्हें कोई नहीं जानता। बार्नम एंटरटेंनमेंट बिजनेस में नए थे इसलिए उन्होंने पेले की रेपूटेशन को बर्बाद करने का प्लान बनाया।
उसने सारे न्यूज़पेपर कंपनियों को लैटेर लिखकर शिकायत कर दी कि पेले को लोगों को एंटरटेन करना नहीं आता। बार्नम ने सबको चेतावनी देते हुए ये भी कहा कि कोई भी पेले कंपनी के स्टॉक्स ना खरीदें क्योंकि अमेरिकन म्यूज़ियम को खरीदने से उस कंपनी को बहुत घाटा हुआ है।
बार्नम की कैम्पेनिंग काम कर गई। पेले के स्टॉक्स की कीमत अचानक गिर गई। अमेरिकन म्यूज़ियम का इरादा बदल गया। उन्होंने पेले के बजाए बार्नम के साथ डील साईन कर ली।
कुछ सालों बाद पेले इससे उबरा तो उसने भी अपना बदला ले लिया। पेले म्यूजियम ने हिप्नोटिज़्म जैसे ज़्यादा साइंटिफिक अट्रैक्शन के साथ “हाई-ब्रो एंटरटेनमेंट” लॉन्च किया। ये बार्नम के जानवरों, एक्रोबेट और फ्रीक शोज़ वाले वल्गर शोज़ से एकदम अलग था।
ज़्यादातर पब्लिक को “हाई-ब्रो एंटरटेनमेंट” काफ़ी पंसद आया और वो बड़ी तादाद में पेले म्यूजियम में आने लगे। हालांकि बार्नम ने दोबारा पेले की रेपूटेशन बर्बाद करने की भरसक कोशिश की। उसने एक परफॉरमेंस दिया जहां उसने एक छोटी लड़की को हिप्नोटाईज़ करके ट्रांस में डाल दिया और लोगों को ये दिखाने की कोशिश की कि वो लड़की अब कभी नहीं उठेगी।
इसके बाद उसने ऑडियंस में से कुछ लोगों को हिप्नोटाईज़ करने की बहुत कोशिश की पर लोग उसके झांसे में नहीं आए। ऑडियंस उस पर हंस रही थी। बार्नम की हरकतों से उसकी फ्रस्ट्रैशन साफ़ ज़ाहिर हो रही थी। उसने कहा कि वो उस छोटी लड़की की अंगुली काटकर ये साबित कर सकता है कि वो उसके जादू में कैद है। बार्नम ने जैसे ही अपने चाकू को धार देना शुरू किया कि तभी अचानक वो लड़की उठकर बैठ गई और भाग गई। लोगों का हंस-हंसकर बुरा हाल हो गया।
बार्नम ने कईं हफ्तों तक अपनी हिप्नोटिज़्म वाली पैरोडी रिपीट की। इसका नतीजा ये हुआ कि जल्द ही लोग पेले के हिप्नोटिज़्म् वाले एक्ट से ऊबने लगे। पेले म्यूजियम में जाने वाले लोगों की तादाद घटने लगी। बार्नम के शोमैनशिप और बोल्डनेस की जो रेपूटेशन थी वो धीरे-धीरे बढ़ती चली गई। जबकि पेले की रेपूटेशन को भारी धक्का लगा था।
सबसे पहले तो बार्नम ने पेले की रेपूटेशन को लेकर लोगों के मन में शक पैदा किया। उसने उसकी स्किल्स और फ़ाईनेंशियल सिचुएशन को लेकर अफवाहें फैला दी। अफवाहों से बचना बड़ा मुश्किल होता है। आप उन्हें झुठला तो सकते हैं पर अपनी सफ़ाई देने का मतलब है कि लोग ये समझेंगे कि आपके बारे में वो अफवाहें हैं वो एकदम सच हैं।
और अगर आप रिएक्ट नहीं करेंगे तो लोग और ज़्यादा बातें करेंगे और आपके बारे में अफवाह और फैलती चली जाएगी। यही वजह है कि अफवाह फैलाकर अपने दुश्मन की रेपूटेशन को बड़ी आसानी से बर्बाद किया जा सकता है खासकर तब जब आपके पास बार्नम जैसी अच्छी रेपूटेशन ना हो।
एक और टैक्टिक जो बार्नम ने यूज की थी, वो थी हिप्नोटिज़्म् पैरोडी। उसने पेले की रेपूटेशन का मज़ाक उड़ाया। बदले में पेले ने अपना बचाव करने की कोशिश की जिसके चलते लोगों का सारा ध्यान बार्नम की तरफ चला गया। अपने दुश्मन की बेईज्ज़ती करना आपको भारी पड़ सकता है जिससे उसका तो कुछ नहीं बिगड़ेगा। लेकिन मज़ाक उड़ाना ये दिखाता है कि आप खुद की रेपूटेशन को लेकर इतने सिक्योर हो कि अपने दुश्मन की कमियों पर हंस रहे हो।
इसलिए आपको अपनी एक आउटस्टैंडिंग quality के ज़रिए अपनी अच्छी रेपूटेशन बनानी चाहिए। ये quality आपको अपने कॉम्पटीटर्स से अलग करेगी और लोग आपकी ही बातें करेंगे। दुनिया को अपनी रेपूटेशन देखने का मौका दो, ये खुद ही जंगल की आग की तरह फैलती चली जाएगी और ज्यादा एफ़र्ट किए बिना ही ये आपकी ताकत और पर्सनेलिटी को बूस्ट करेगी।
आपकी रेपूटेशन के बेसिस पर लोग आपको रिस्पेक्ट ज़रूर देंगे। इस तरह बिना आपके बोले या मौके पर पहुंचे बगैर ही आपका काम बन जाएगा। लोगों पर अपना जादू चलाने के लिए आपकी एक आउटस्टैंडिंग quality ही काफ़ी है।
याद रहे कि आपको अपने दुश्मन की इंसल्ट नहीं करनी है। ताने मारना या मज़ाक उड़ाना उनकी रेपूटेशन को खराब करने का ज़्यादा अच्छा तरीका है। अगर आपकी अपनी रेपूटेशन खराब है तो उसे ठीक करने के लिए किसी ऐसे इंसान से हाथ मिलाईए जिसका सोसाईटी में बड़ा नाम हो। जैसे example के लिए, बार्नम ने यूरोप की हाई क्लास सिंगर जेनी लिंड को हायर किया था ताकि लोगों के दिमाग से उसके एंटरटेनमेंट के वल्गर होने वाली बात निकल जाए।
Court Attention at All Cost
1905 के दौरान पेरिस में ये अफवाह उड़ी थी कि एक जवान नाचने वाली जोकि एशियन थी, प्राइवेट शोज़ में नाच के दौरान धीरे-धीरे अपने सारे कपड़े उतार देती है। वो औरत “माता हरी” के नाम से मशहूर थी।
वो कुछ गिने-चुने लोगों को ही अपने घर इन्वाईट करती थी। उसका घर इंडियन स्टेच्यूज़ और एंटीक एशियन हैंडीक्राफ्ट से भरा हुआ था। संगीतकारों का एक झुंड कुछ हिन्दी और जावानीज़ गाने बजाता था। चुने हुए मेहमानों को पहले इंतजार करवाया जाता था फिर माता हरी अपने खूबसूरत चेहरे और लुभावने शरीर के साथ उनके सामने पेश होती।
उसके बदन पर नाममात्र के कपड़े होते थे। हीरे-मोतियों से जड़ी ब्रा और कमर पर बंधे पारदर्शी सरॉंग से सब कुछ नज़र आता था। उसका चेहरा, बाल और बाहें सब कुछ गहनों से सजे होते। माता हरी के जैसा उत्तेजक डांस फ्रांस में पहले कभी किसी ने नहीं देखा था। वो अपनी ऑडियंस को बताया करती थी कि उसका डांस इंडियन माईथोलॉजी और जावानीज़ फ़ोकटेल से इन्सपायर्ड है। ।
यूरोप के अमीर और ताकतवर लोगों में माता हरी के इन्विटेशन के लिए होड़ मची रहती थी क्योंकि ये अफ़वाह फैली थी कि कईं बार वो एकदम निर्वस्त्र होकर डांस करती है।
लोग उसके बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानने के लिए बेचैन रहते थे। माता हरी ने एक बार रिपोर्टर्स को बताया था कि वो नीदरलैण्ड्स में जन्मी है पर इंडोनेशिया में पली-बढ़ी है। उसका ये भी कहना था कि वो इंडिया घूम चुकी है जहां से उसने एनशिएंट क्लासिक डांस सीखे हैं।
हालांकि माता हरी अपने हर इंटरव्यू में नई कहानी सुनाती थी। एक और रिपोर्टर को उसने ये बताया था कि वो भारत में पली-बढ़ी है और भारतीय सभ्यता से वाकिफ़ है। जबकि किसी दूसरे रिपोर्टर को उसने बताया कि उसकी दादी जावा की राजकुमारी की बेटी थी। उसने ये भी कहा कि वो सुमात्रा में रहती थी जहां उसने घुड़सवारी और बंदूक चलाना सीखा।
माता हरी कहाँ से आई थी, कौन थी, ये कोई नहीं जानता था। लेकिन रिपोर्टर्स को उसकी हर नई कहानी दिलचस्प लगती थी। वो माता हरी की तारीफ़ों के पुल बांधते रहते थे और यहाँ तक कि उसे भारतीय डेवी जैसी बताते थे।
अगस्त 1905 की बात है। माता हरी भीड़ के सामने एक डांस परफॉर्म करने वाली थी। लेकिन ओपनिंग नाईट में ही दंगा-फ़साद हो गया क्योंकि लोग उसकी एक झलक पाने के लिए बेकाबू हुए जा रहे थे। लोगों की नज़र में वो एक कल्ट फिगर बन गई थी। औरतें उसके जैसा दिखना चाहती थी। माता हरी ना सिर्फ पेरिस में बल्कि पूरे यूरोप में मशहूर हो गई थी।
उसे बर्लिन, मिलान और विएना में परफ़ॉर्म करने के लिए इन्वाईट किया जाता था। उसने पूरे यूरोप का चक्कर लगाया, बड़े-बड़े लोगों के साथ उसका उठना-बैठना था और बहुत जल्द वो अमीर हो गई थी। लेकिन वर्ल्ड वॉर 1 खत्म होने के बाद माता हरी पर एक जर्मन जासूस होने का ईल्ज़ाम लगा और फ्रांस ने उसे गिरफ़्तार कर लिया।
जब उस पर मुकदमा चला तो इस बात का खुलासा हुआ कि वो ना तो इंडियन थी और ना ही इंडोनेशियन। वो एशिया में पली-बढ़ी ज़रूर थी पर उसकी रगो में एशियन खून नहीं था। असल में माता हरी का असली नाम मार्गरेटा ज़ेले थे। वो नीदरलैंड्स के एक प्रांत की रहने वाली थी।
ज़ेले 1904 में जब पेरिस आई तो उसके पास एक फूटी कौड़ी नहीं थी। वो उन बाकि लड़कियों जैसी ही थी जो आर्टिस्ट, मॉडल, थियेटर एक्ट्रेस और नाईट क्लब डांसर बनने पेरिस आती थीं। कुछ साल एंटरटेन करने के बाद इनकी जगह जब दूसरी जवान लड़कियां आती थी तो ये पुरानी लड़कियां अक्सर जिस्मफरोशी की राह पर चल पड़ती और जो वैश्या नहीं बनती थी वो फिर से गरीब और लाचार हालत में अपने-अपने घरों को लौट जाती।
लेकिन मार्गरेटा ज़ेले बाकि लड़कियों जैसी नहीं थी। वो महत्वाकांक्षी थी। हालांकि एक डांसर या एक्ट्रेस के तौर पर उसे खास अनुभव नहीं था पर बचपन में वो अपने परिवार के साथ इंडोनेशिया घूम चुकी थी और वहाँ के लोकल डांस से परिचित थी। मार्गरेटा समझ गई थी कि उसका चेहरा, बदन या उसका डांस उतना इम्पोर्टेन्ट नहीं है। जो सबसे पावरफुल चीज थी वो थी अपने चारों तरफ एक मिस्ट्री क्रिएट करना।
माता हरी जो कुछ करती थी, उसमें एक मिस्ट्री जोड़ देती थी। उसका डांस, कॉस्ट्यूम और उससे जुड़ी सारी कहानियाँ रहस्य के परदे में छुपी होती थी। वो हमेशा उन्हें बदलती रहती और हर बार अलग तरीके से खुद को पेश करती। इस रहस्य ने लोगों को उसका दीवाना बना दिया था और वो उसके बारे में और जानने के लिए बेचैन हो गए थे। ऐसा नहीं था कि माता हरी पेरिस की बाकि लड़कियों से ज़्यादा खूबसूरत थी या उनसे अच्छा डांस करती थी बल्कि जो चीज़ उसे बाकियों से स्पेशल बनाती थी वो थी उसकी मिस्टिरियस पर्सनेलिटी जिसके दम पर वो अमीर, मशहूर और हरदिल अज़ीज़ बन गई थी।
हमारे पूर्वज़ एक ऐसी दुनिया में रहते थे जो रहस्यों से भरी थी। ऐसी बहुत सी चीज़े थी जो उन्हें समझ नहीं आती थी जैसे कि नैचुरल डिजास्टर, बीमारियाँ और मौत। यही वजह थी कि उन्होंने इन सब चीज़ों को एक्सप्लेन करने के लिए मिथस् और लेजेंड्स क्रिएट किए।
लेकिन इंसान ने जब साइंस की खोज की तो उसे हर चीज़ की सटीक जानकारी मिलने लगी लेकिन हमें अपनी कल्पनाओं को पंख देने के लिए आज भी रहस्य और अनसुलझी पहेलियाँ लुभाती हैं। मिस्ट्री का सेंस क्रिएट करने के लिए आपको ज़्यादा मेहनत करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। ये याद रखना कि ज़्यादातर लोग खुली किताब की तरह होते हैं लेकिन आप बिना कुछ कहे, अनप्रेडिक्टेबल और इनकंसिस्टेंट बनकर एक मिस्टिरियस फिगर बन सकते हैं। पहेलियों में बात करें और अजीब तरीके से बिहेव करें।
मिस्टिरियस बनकर आप दुनिया के सामने और भी अट्रैक्टिव और इंटेलिजेंट बन सकते हैं। आप उन लोगों से सुपीरियर हो जाते हैं जो आपकी असली personality या गोल्स को जानना चाहते हैं।
Get Others to Do the Work for You, But Always Take the Credit
1883 में सर्बिया में एक यंग साइंटिस्ट हुआ करते थे जिनका नाम था निकोला टेस्ला। निकोला यूरोप में कॉन्टिनेंटल एडिसन कंपनी के लिए काम किया करते थे। टेस्ला एक बेहतरीन इनवेंटर थे। प्लांट मैनेजर चार्ल्स बैचलर ने उन्हें न्यू यॉर्क जाने के लिए मना लिया और थॉमस एडिसन को एक रेफ़रेन्स लैटर लिखकर भेज दिया।
जब टेस्ला वहाँ पहुंचे तो एडिसन ने तुरंत उन्हें काम पर रख लिया। एडिसन के डाइनामोस को इम्प्रूव करने के लिए टेस्ला रोज़ अठारह-अठारह घंटे काम किया करते थे। उन्होंने एडिसन को डाइनमोस को पूरी तरह से रीडिजाइन करने का प्रपोजल दिया। एडिसन को लगा टेस्ला को ये प्रोजेक्ट पूरा करने में कईं साल लगेंगे। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट कंप्लीट होने के बाद वो टेस्ला को $50,000 देंगे।
टेस्ला दिन-रात काम में जुट गए और एक साल के अंदर-अंदर डाइनामो को एकदम परफेक्ट बना दिया। यहाँ तक कि उनके डिजाइन में ऑटोमेटिक कंट्रोल भी था। वो एडिसन के पास गए और उनसे $50,000 मांगे। एडिसन इस नए डाइनामो से काफ़ी इम्प्रेस हुए। इससे वो बहुत कमाई कर सकते थे। लेकिन एडिसन ने टेस्ला को बोला कि $50,000 ईनाम वाली बात उन्होंने मज़ाक के तौर पर कही थी। उन्होंने टेस्ला को बहुत छोटी सी रकम दी।
टेस्ला का सबसे बड़ा गोल था इलेक्ट्रिसिटी का एक ऑल्टरनेटिंग-करंट (AC) सिस्टम बनाना। लेकिन एडिसन ने उनकी इस रिसर्च को सपोर्ट करने से मना कर दिया क्योंकि वो डायरेक्ट-करंट (DC) सिस्टम पर यकीन करते थे। बाद में एडिसन ने टेस्ला को AC सिस्टम में जो सक्सेस मिली थी, उसे बर्बाद करने की भी कोशिश की।
टेस्ला ने अपना आइडीया एक अमीर बिजनेसमैन को दिया जिसका नाम था जॉर्ज वेस्टिंगहाउस जिसने अपनी खुद की इलेक्ट्रिक कंपनी शुरू की थी। वेस्टिंगहाउस ने टेस्ला को वो सब कुछ दिया जो उन्हें रिसर्च के लिए चाहिए था और उनके AC के फ्यूचर प्रॉफिट्स के लिए काफ़ी बडी रकम भी ऑफर की।
आज भी हम टेस्ला का AC सिस्टम इस्तेमाल में ला रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पेटेंटस भी फ़ाइल किया था लेकिन कुछ साइन्टिस्टस का दावा है कि टेस्ला ने सिर्फ उनके पुराने आइडीयाज़ पर काम किया है और इस तरह फिर से एक बार टेस्ला को अपने काम का क्रेडिट नहीं मिल पाया। लोगों ने वेस्टिंगहाउस को ही AC सिस्टम का इनवेंटर मान लिया।
एक साल के बाद एक और बिजनेसमैन जे. पी. मॉर्गन ने वेस्टिंगहाउस की कंपनी खरीद ली। मॉर्गन ने वेस्टिंगहाउस से रीकवेस्ट की कि वो डील के हिस्से के तौर पर टेस्ला के रॉयल्टी कान्ट्रैक्ट को वापस ले ले। वेस्टिंगहाउस ने टेस्ला को उसके पेटेंट के बदले $216,000 लेने के लिए मना लिया।
$12 मिलियन के मुकाबले ये बहुत छोटी रकम थी, जो उस वक्त टेस्ला की रॉयल्टी का फुल अमाउन्ट थी। इसलिए उसके फ़ाईनेंशियर्स ने टेस्ला के पेटेंट, पैसे और महान इंवेशन का सारा कंट्रोल ले लिया।
एक और मुद्दा गुग्लिल्मो मार्कोनी से जुदा था जिसने 1899 में रेडियो इंवेंट किया था। सच तो ये था कि मार्कोनी ने टेस्ला के 1897 में फाईल किए गए पेटेंट को यूज किया और उसका सारा काम टेस्ला की रिसर्च पर डिपेंडेंट था।
टेस्ला ने एक इंडक्शन मोटर AC पावर सिस्टम इंवेंट किया था और वो ही रेडियो के असली इन्वेंटर भी थे। लेकिन इन महान खोजों का क्रेडिट उन्हें कभी दिया ही नहीं गया। टेस्ला मरते दम तक गरीबी में जीए।
उनकी भूल बस ये थी कि उन्हें लगा कि साइंस का पॉलिटिक्स से कोई लेना-देना नहीं है। टेस्ला ने कभी पैसे और शोहरत की कद्र नहीं की। लेकिन उनकी इसी गलतफ़हमी ने उनका करियर तबाह कर दिया। उन्होंने अपनी कई खोजों को अपना नाम नहीं दिया और ना ही उनकी रॉयल्टी ली। इसलिए उन्हें अपने रिसर्च के लिए इन्वेस्टर्स ढूँढने में हमेशा दिक्कत आई।
कईं और साइंटिस्ट्स ने टेस्ला के पेटेंट चुराए और उनके हिस्से का सारा क्रेडिट खुद ले लिया। टेस्ला अकेले काम करना पसंद करते थे लेकिन इस आदत ने उन्हें गरीबी और लाचारी की ज़िंदगी जीने पर मज़बूर कर दिया।
दूसरी तरफ़ थॉमस एडिसन इसके एकदम opposite थे। वो बड़े इनवेंटर या साइंटिस्ट नहीं थे बल्कि वो टैलेंटेड बिजनेसमैन और पब्लिशिस्ट थे। एडिसन दूसरों का काम चुराया करते थे और दौलत, शोहरत और क्रेडिट के लिए कुछ भी करने को तैयार थे। ज़्यादातर लोग टेस्ला से ज्यादा एडिसन को जानते थे और सोचते थे कि ज़्यादातर ग्रेट इंवेशन के पीछे उनका ही हाथ है।
लेकिन याद रहे कि इंवेशन से ज्यादा इंवेशन का क्रेडिट लेना इंपोरटेंट है। आपको अपनी मेहनत की पहचान मिलनी चाहिए। दूसरों को कभी अपने आइडीयाज़ और प्रोजेक्ट चुराने मत दो। हमेशा इस बात का ध्यान रखो कि कहीं कोई आपके काम को अपने मतलब के लिए ना इस्तेमाल कर ले।
वैसे भी ज़िंदगी छोटी है और टाइम बहुत कीमती। अगर आप सब कुछ खुद ही करने लगोगे तो आपका टाइम और एनर्जी दोनों वेस्ट होंगे। इसलिए बेहतर होगा कि आप उन्हें हायर करो जो आपसे ज्यादा क्रिएटिव और स्किल्ड हैं या फिर आप चाहो तो एक्सपर्ट्स से आइडीयाज़ ले सकते हो।
अब जैसे शेक्सपीयर का ही example ले लो। वो ग्रीक फिलोसफ़र प्लुटार्क के काम से बड़े प्रभावित थे। उनके प्लॉट, केरेक्टर्स और dialogue से शेक्सपीयर काफी इंसपायर्ड थे। आप जिस टॉपिक पर काम करना चाहते हैं, उस पर एक्सपर्ट्स के काम को स्टडी कर सकते हैं और उनके आइडीयाज़ के बेसिस पर अपने प्रोजेक्ट क्रिएट कर सकते हैं।
इस तरह आपको ट्रायल और एरर के जरिए सीखने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। आप गलतियाँ किए बिना ही सब कुछ सीख और समझ सकते हैं। आपको सिर्फ उनके अनुभवों को पढ़ना और समझना है जो आपसे पहले आए हैं।
Make Other People Come to You—Use Bait If Necessary
1814 में विएना कॉंग्रेस में सारे यूरोपियन देश इकट्ठा हुए। उन्हें नेपोलियन बोनापार्टे के गिरते हुए एम्पायर के बारे में पता चला। दूसरी तरफ़ नेपोलियन को इटली के तट के पास एल्बा आईलैंड में नजरबंद रखा गया था।
जेल में होते हुए भी नेपोलियन अपनी बहादुरी और क्रिएटिविटी से लोगों के मन में खौफ पैदा किया करता था। ऑस्ट्रीयंस उसे एल्बा में ही मार देना चाहते थे लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाए क्योंकि ये बहुत रिस्की था। रशिया के ज़ार एलेक्सजेंडर I ने बाकि लीडर्स को धमकी देते हुए कहा कि अगर उसे पोलैंड का एक हिस्सा नहीं दिया गया तो वो नेपोलियन को जेल से छुड़ा लेगा।
सिर्फ एक लीडर ऐसा था जो इस सारे हंगामे के बीच भी एकदम शांत और निडर लग रहा था, वो थे चार्ल्स मौरिस डी टैलीरैंड (Charles Maurice de Talleyrand,) जो फ्रेंच foreign मिनिस्टर थे। जबकि नेपोलियन की अगर बात करें तो एल्बा में जो ज़िंदगी वो जी रहा था, उस शानो-शौकत भरी ज़िंदगी के मुकाबले कुछ भी नहीं थी जो वो कभी जीया करता था। उसे एल्बा का राजा कहा जाता था और उसके राजदारबारी उसके इर्द-गिर्द ही रहते थे। उसे अपना पर्सनल शेफ़, एक फैशन डिजाइनर और एक ऑफ़िशियल पियानो प्लेयर रखने की इज़ाजत थी।
सर्दी का मौसम आया और कुछ ऐसी अजीबो-गरीब घटनाएं घटने लगी जो किसी सोची-समझी साजिश का हिस्सा लग रही थी। एल्बा के आईलैंड को चारों तरफ़ से अचानक ब्रिटिश जहाज़ों ने घेर लिया था। बाहर जाने के सारे रास्तों पर तोप तैनात कर दिए गए थे।
लेकिन इसके बावजूद 1815 में 26 फरवरी के दिन सुबह-सुबह एक रहस्मय जहाज़ में सवार हज़ारों लोगों ने नेपोलियन को कैद से छुड़ाया और उसे लेकर समुद्र के पार चले गए। ब्रिटिश जहाज़ों ने उस जहाज़ का पीछा किया लेकिन वो लोग बच निकले। इस घटना ने विएना कॉंग्रेस के सारे लीडर्स के होश उड़ा दिए।
आप शायद सोच रहे होंगे कि नेपोलियन अपनी जान बचाकर यूरोप भाग गया होगा और दूर किसी ऐसी जगह जाकर छुप गया होगा जहां उस तक कोई पहुँच ना पाए। लेकिन असल में उसने फ्रांस लौटने का इरादा किया। आर्मी की एक छोटी टुकड़ी के साथ उसने पेरिस की सड़कों पर मार्च किया। नेपोलियन को उम्मीद थी कि वो वापस अपनी गद्दी हासिल कर लेगा।
लोगों ने उसे देखा तो उसके कदमों में सिर झुका दिया। कुछ सैनिक उसे गिरफ्तार करने आए लेकिन नेपोलियन को अपने सामने देखकर उनकी हिम्मत नहीं हुई उसे हाथ लगाने की। एक बार फिर उन्होंने नेपोलियन को अपना राजा घोषित कर दिया। उसकी नई आर्मी में कईं लोग अपनी मर्जी से शामिल हुए। भीड़ का उत्साह देखकर लगता था कि जनता उसे कितना प्यार करती है और जो राजा उसके बदले तख्त पर बैठा था, वो देश छोड़कर भाग गया।
उसने अगले सौ दिनों तक फ्रांस पर राज किया। लेकिन फिर कईं सारी परेशानियाँ एक साथ आन पड़ी। देश का सारा खजाना खाली हो चुका था। फ्रांस दिवालिया हो गया था। नेपोलियन इस समस्या का कोई हल नहीं ढूंढ पाया। आखिरकार जून 1815 में वाटरलू की लड़ाई में नेपोलियन को एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा।
नेपोलियन के दुश्मनों को उनका सबक मिल गया था। उन्होंने उसे अफ़्रीका के पश्चिमी तट पर सेंट हेलेना आईलैंड में नजरबंद करके रखा। इतने दूर-दराज़ के आईलैंड में कोई भी उस तक नहीं पहुँच सकता था। असल में इस कहानी की सच्चाई कुछ सालों के बाद पता चली।
नेपोलियन के एल्बा से निकल भागने से पहले कुछ लोग उससे मिलने उसके दरबार में आए और उसे बताया कि फ्रांस में वो पहले से ज्यादा मशहूर हो गया है और लोग उसे फिर से राजा बनाने के लिए तैयार हैं।
ऑस्ट्रिया का जनरल रोलर भी उन मिलने वालों में से एक था। उसने नेपोलियन से कहा कि अगर वो वहाँ से बच निकला तो यूरोपियन लीडर्स उसके सत्ता में वापस आने का स्वागत करेंगे। जनरल रोलर ने ये भी कहा कि ब्रिटिश जहाज़ उसे वहाँ से बचकर निकल जाने देंगे।
लेकिन नेपोलियन को नहीं पता था कि इन अजीब घटनाओं के पीछे एक मास्टरमाइंड है जो फॉर्मर foreign मिनिस्टर, चार्ल्स मौरिस डी टैलीरैंड थे। उसने नेपोलियन को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म करने के इरादे से ये चाल चली थी।
टैलीरैंड बहुत पहले से ही नेपोलियन के खिलाफ़ था जब उसने देखा कि नेपोलियन की महत्वाकांक्षा यूरोप का सर्वनाश करने पर तुली है। टैलीरैंड ने बाकि लीडर्स को कहा कि उन्हें नेपोलियन को देशनिकाला देकर एल्बा नहीं भेजना चाहिए बल्कि कहीं बहुत दूर भेजना चाहिए क्योंकि नेपोलियन एल्बा से भी समस्या खड़ी करता रहेगा। लेकिन बाकि लीडर्स ने टैलीरैंड की बात नहीं सुनी इसलिए टैलीरैंड सही वक्त का इंतजार करता रहा और चुपचाप अपने काम में लगा रहा। उसने इंग्लैंड और ऑस्ट्रीया के foreign मिनिस्टर्स को भरोसे में लेकर उन्हें नेपोलियन को बच निकलने में मदद करने को कहा। वो टैलीरैंड ही था जिसने जनरल कोलर को ये ऑर्डर दिया था कि वो पेरिस लौट चले क्योंकि लोग उसे बहुत प्यार करते हैं।
टैलीरैंड जानता था कि नेपोलियन उसके जाल में ज़रूर फँसेगा क्योंकि वो बेहद महत्वाकांक्षी था। वो ये भी जानता था कि नेपोलियन फ्रांस को युद्ध की आग में झोंक देगा लेकिन फ्रांस ज़्यादा देर टिक नहीं पाएगा क्योंकि देश का खजाना लगभग खाली हो चुका था। इसलिए टैलीरैंड ने नेपोलियन को झांसा देकर पेरिस बुलाया और उसके अंजाम तक पहुंचा दिया। और इस तरह नेपोलियन को हमेशा के लिए नेस्तानाबूद कर दिया।
ये पैटर्न हिस्ट्री में कईं बार रिपीट हुआ है। एक महत्वाकांक्षी लीडर कई बोल्ड स्टेप्स लेता है जो उसे ताकतवर बना देते हैं। जल्द ही उसकी ताकत अपने चरम पर होती है और हर कोई उसके खिलाफ़ खड़ा हो जाता है। एक तरफ वो लीडर अपनी ताकत बरकरार रखने की कोशिश कर रहा होता है तो दूसरी तरफ उसके दुश्मन मिलकर उसके खिलाफ़ साजिश रचते हैं। और लीडर एक के बाद एक कईं गलतियाँ करता चला जाता है जब तक कि वो अपने आखिरी अंजाम तक नहीं पहुँच जाता।
इस पैटर्न के पीछे की वजह ये है कि एग्रेसिव लीडर अकेला सब कुछ कंट्रोल नहीं कर सकता। वो कभी ये सोचता ही नहीं कि जो कदम उसने उठाए हैं उनका नतीजा क्या होगा। वो डिफेंसिव हो जाता है क्योंकि वो अपने दुश्मनों की हर चाल का जवाब देने की कोशिश करता है।
एग्रेसिव होना कभी असरदार तरीका नहीं हो सकता है। आपको शांत और खामोश बैठना होगा। अपने दुश्मनों को अपने बनाए जाल में फँसने दो। ऐसी चाल चलो जो उन्होंने कभी सोची भी ना हो और फिर उन्हें डिफ़ेंसिव मोड में आने दो। अपने इमोशंस खासकर अपने गुस्से को मैनेज करना सीखो।
यहाँ हम टैलीरैंड का example ले सकते हैं कि उसने कैसे अपनी स्ट्रेटेजी चेंज की। उसे लगा कि बाकि लीडर्स से बहस करके कोई फायदा नहीं है इसलिए उसने नेपोलियन को पूरी तरह से हराने के लिए उसे एक सुनसान जगह पर भेज दिया। टैलीरैंड जानता था कि नेपोलियन को नाम और शोहरत की भूख है। वो लोगों की जुबान से अपना नाम सुनना चाहता था। टैलीरैंड ने उसकी इसी कमज़ोरी का फायदा उठाया और उसे झांसा देकर पेरिस बुला लिया। पेरिस पहुंचकर नेपोलियन ने देखा कि उसके सारे रिसोर्सेज खत्म हो चुके हैं तो उसकी हिम्मत भी जवाब दे गई। इसलिए जब आपका दुश्मन आपसे टकराने की कोशिश करे तो उसे इतना कमज़ोर और लाचार कर दो कि लड़ने से पहले ही वो हार मान ले।
अपने दुश्मन को झांसा देकर उसे अपने ईलाके में आने पर मज़बूर करो। उसके बाद वो खुद ही कमज़ोर पड़ जाएगा क्योंकि उसके लिए सब कुछ नया और अनजान होगा। जब आप उनके मुकाबले ज़्यादा स्ट्रॉंग और स्मार्ट होंगे तो उन्हें आसानी से हरा पाएंगे।
Win Through Your Actions, Never Through Argument
ये बात है 1502 में फ्लोरेंस, ईटली की। एक बड़े मार्बल का ब्लॉक सांता मारिया डेल फ़ियोर चर्च के एक कोने में खड़ा था। ये मार्बल कभी एक खूबसूरत पत्थर का टुकड़ा हुआ करता था लेकिन एक लापरवाह मूर्तिकार ने इसमें वहाँ पर छेद कर दिया था जहां असल में मूर्ति की टांग होनी चाहिए थी। फ्लोरेंस के मेयर पिएरो सोडारिनी इस मार्बल के टुकड़े को ठीक करने के लिए लियोनार्डो डा विंची या किसी और एक्सपर्ट को बुलाने की सोच रहे थे। लेकिन उसे ये प्रोजेक्ट छोड़ना पड़ा क्योंकि हर कोई यही बोल रहा था कि अब इस मार्बल का कुछ नहीं हो सकता। और तब से वो पत्थर चर्च के अंधेरे कमरे में यूँ ही पड़ा रहा।
बाद में ग्रेट आर्टिस्ट माइकल एंजेलो को फ्लोरेंस में अपने दोस्तों से कुछ लैटर मिले। उन्होंने खत में उस पत्थर का जिक्र करते हुए लिखा था कि अब वही इस पत्थर के टुकड़े को नष्ट होने से बचा सकते हैं। तो माइकल एंजेलो फ्लोरेंस पहुंचे और उस पत्थर को देखने गए। उन्होंने कहा कि अगर वो मूर्ति के उस हिस्से से शुरुवात करें जहां मार्बल में छेद है तो इसे एक खूबसूरत मूर्ति में बदला जा सकता है। माइकल एंजेलो सोच रहे थे कि वो इससे डेविड की मूर्ति बनाएंगे, जो बाइबल की स्टोरी में एक चरवाहा लड़का था।
मूर्ति बनाने में माइकल एंजेलो को कईं हफ्ते लग गए। मेयर पिएरो सोडारिनी उनसे मिलने स्टूडियो में आए और उनके काम को ऑब्जर्व किया। सोडारिनी खुद को आर्ट का एक्सपर्ट समझते थे। उन्होंने कहा कि मूर्ति काफ़ी सुंदर बनी है लेकिन डेविड की नाक कुछ ज्यादा ही लंबी बन गई है।
माइकल एंजेलो ने देखा कि मेयर मूर्ति के नीचे खड़े हैं और मूर्ति को सही नज़रिए से नहीं देख पा रहे हैं। लेकिन उन्होंने मेयर से बहस नहीं की बल्कि सोडारिनी से कहा कि वो scaffolding पर चढ़ें और खुद माइकल एंजेलो डेविड की नाक के सबसे ऊपरी हिस्से पर पहुंचे। उन्होंने अपनी हथौड़ी और थोड़ा सा मार्बल का डस्ट निकाला।
माइकल एंजेलो ने हल्के से डेविड की नाक थपथपाई। वो अपने हाथ से थोड़ा-थोड़ा मार्बल डस्ट डालते जा रहे थे लेकिन उन्होंने मूर्ति में कोई बदलाव नहीं किया। उन्होंने मूर्ति की नाक पर हथौड़ी मारने का नाटक किया जैसे कि वो सोडारिनी की सलाह पर अमल कर रहे हों। कुछ मिनटों के बाद मेयर ने जब दोबारा डेविड को देखा तो बोले अब ये बिल्कुल परफेक्ट है।
माइकल एंजेलो जानते थे कि अगर उन्होंने डेविड की नाक में कुछ भी बदलाव किया तो मूर्ति पूरी खराब हो जाएगी। मेयर एक पावरफुल आदमी था और खुद एक आर्ट एक्सपर्ट भी था इसलिए माइकल एंजेलो ने उससे बहस नहीं की। उन्होंने चुपचाप सोडारिनी की बात मानने का नाटक किया।
माइकल एंजेलो जानते थे कि बहस करना बेकार है और दूसरी बात ये थी कि मेयर उनका patron था। माइकल एंजेलो ने ये साबित करने की कोशिश नहीं की कि वो सही हैं वर्ना मेयर नाराज़ हो जाता। उन्हें बहस करने के बजाए एक्शन लेना सही लगा। एक्टिंग करके आप अपना पॉइंट प्रूव कर सकते हो और इससे किसी को बुरा भी नहीं लगेगा।
बहस करके आप सिर्फ दूसरों को हर्ट करते हो। इसमें आप कुछ उल्टा-पुलटा बोल बैठोगे और सामने वाला बुरा मान जाएगा। लोगों को मनाने में आपका टाइम और एनर्जी दोनों वेस्ट होंगी। लेकिन अगर आप चुपचाप रहकर उन्हें solution दिखाओगे तो लोग आपकी बात से सहमत हो जाएंगे और मान लेंगे कि आप सही हैं। इसलिए बहस कभी मत करो, बस एक्शन लो और लोगों को खुद ही प्रूफ मिल जाएगा।
Infection: Avoid The Unhappy and Unlucky
मैरी गिल्बर्ट 1840 में एक डांसर और परफ़ॉर्मर बनने पेरिस आई थी। उसने अपना स्टेज नेम रखा ‘लोला मोंटेज’ और सबको बताया कि वो स्पेन की एक फ्लेमेंको डांसर है। 1845 तक लोला डांस के फील्ड में करियर बनाने और पैसे कमाने के लिए काफी स्ट्रगल करती रही. फिर उसे लगा कि उसे एक बदलाव की जरूरत है और इसलिए वो एक वैश्या बन गई।
लोला मोंटेज का डांसिंग करियर अगर कोई बचा सकता था तो वो एक आदमी था एलेक्ज़ेंडर दुजारियर, फ्रांस के एक बड़े न्यूज़पेपर का मालिक और एक ड्रामा क्रिटिक। लोला ने उसे seduce करने का फैसला किया।
उसने उसके बारे में जांच-पड़ताल शुरू की तो पता चला कि उसे घुड़सवारी पसंद है। लोला खुद घुड़सवारी में माहिर थी। एक दिन सुबह-सुबह वो घोड़े पर सवार हुई और फील्ड में अचानक एलेक्ज़ेंडर से टकरा गई और उस दिन के बाद से दोनों रोज़ साथ में घुड़सवारी करने लगे। कुछ हफ्ते गुज़रे और लोला एलेक्ज़ेंडर के अपार्टमेंट में आकर उसके साथ रहने लगी।
शुरू-शुरू में दोनों एक साथ बड़े खुश थे। लोला ने एलेक्ज़ेंडर की मदद से अपने दम तोड़ते डांसिंग करियर को फिर से जिंदा कर दिया था और एलेक्ज़ेंडर ने ये अनाउंस कर दिया कि वो स्प्रिंग के मौसम में लोला से शादी करेगा. हालांकि उसके दोस्तों को लोला पसंद नहीं आई थी। लोला ने एलेक्ज़ेंडर को कभी नहीं बताया कि उसने 19 साल की उम्र में एक अंग्रेज़ से शादी कर ली थी। लेकिन एलेक्ज़ेंडर लोला के प्यार में पागल था और उसकी ज़िंदगी धीरे-धीरे पटरी से उतर रही थी।
उसके दोस्त उससे कन्नी काटने लगे थे। उसका बिजनेस भी धीरे-धीरे ठप होता जा रहा था। एक रात एलेक्ज़ेंडर एक ऐसी पार्टी में गया जहां पेरिस के सबसे अमीर नौजवान आए हुए थे। लोला भी उसके साथ पार्टी में शरीक होना चाहती थी पर एलेक्ज़ेंडर ने उसे मना कर दिया और इस बात को लेकर दोनों के बीच पहली बार लड़ाई हुई।
पार्टी में एलेक्ज़ेंडर ने नशे में धुत्त होकर एक मशहूर ड्रामा क्रिटिक जीन-बैप्टिस्ट डी ब्यूवैलॉन की इंसल्ट कर दी। वो इसलिए क्योंकि जीन ने लोला के बारे में कुछ उल्टा-सीधा बोल दिया था।
अगले दिन सुबह जीन ने एलेक्ज़ेंडर को एक मुकाबले के लिए चैलेंज किया। वो फ्रांस का बेस्ट पिस्टल शूटर था और एलेक्ज़ेंडर ने माफ़ी मांगने की बहुत कोशिश की मगर मुकाबला हुआ और एलेक्ज़ेंडर मारा गया। उसके बाद लोला पेरिस छोड़कर चली गई।
एक साल बाद, लोला जर्मनी के म्यूनिख शहर में थी। अब उसका इरादा बवेरिया के किंग लुडविग को seduce करना था। उसे पता चला कि किंग लुडविग के करीब जाने का सबसे बेस्ट तरीका है उसका असिस्टेंट, count ओटो वॉन रेचबर्ग, जो खूबसूरत औरतों का दीवाना था।
तो एक बार काउंट ओटो रेस्टोरेंट में ब्रेकफास्ट कर रहा था कि तभी लोला अपने घोड़े पर सवार होकर उसी गली से गुज़री और ठीक काउंट ओटो के पैरों के पास अपने घोड़े की पीठ से अचानक नीचे गिर पड़ी। काउंट ओटो उसे बचाने लपका तो उसकी खूबसूरती को देखता रह गया। उसने उसी वक्त सोच लिया कि वो इस खूबसूरत हसीना को किंग लुडविग से जरूर मिलवाएगा।
फिर कुछ ही दिनों बाद लोला महल तक पहुँच गई। बैक रूम में उसने किंग लुडविग को कहते सुना कि उसके पास किसी अनजान की मदद की गुहार सुनने का ज़रा भी वक्त नहीं है। लोला आगे बढ़ी और पहरेदारों को परे धकेलते हुए राजा के कमरे में दाखिल हो गई।
हर कोई ये देखकर हैरान रह गया कि लोला के breast दिख रहे थे। उसने राजा से बात करने की ख्वाहिश ज़ाहिर की और उसे इज़ाजत मिल गई। उसके बाद बहुत जल्द ही उसने महल में एक डांस परफॉरमेंस दिया। लोग उसके डांस से ज्यादा प्रभावित तो नहीं थे पर राजा ने उसके बाद कईं बार लोला का डांस परफॉरमेंस रखवाया।
राजा खुद इकरार कर रहा था कि लोला ने उस पर कोई जादू कर दिया है। दोनों साथ-साथ पब्लिक में नज़र आने लगे। किंग लुडविग ने लोला के लिए म्यूनिख की एक हाई क्लास डिस्ट्रिक्ट में एक फ्लैट भी खरीद लिया था। वो उसे कीमती तोहफ़े दिया करता और उसके लिए कविताएं लिखा करता। देखते ही देखते लोला बेहद अमीर और मशहूर हो गई। लेकिन साथ ही वो घमंडी भी हो गई थी।
एक बार लोला म्यूनिख की सड़कों पर अपने घोड़े की सवारी कर रही थी। रास्ते में एक बूढ़ा आदमी जा रहा था जो बहुत धीरे-धीरे चल रहा था। वो आदमी लोला के आगे चल रहा था इसलिए वो आगे नहीं बढ़ पा रही थी। बस इतनी सी बात पर लोला ने उसे कोड़े मारकर अपने रास्ते से हटा दिया। एक और वाक्या है जब लोला अपने कुत्ते को बगैर पट्टा बांधे सड़क पर घुमा रही थी। कुत्ते ने राह चलते एक आदमी पर हमला कर दिया पर लोला ने उस आदमी की मदद करने के बजाए अपने कुत्ते के पट्टे से उस आदमी को मारना शुरू कर दिया।
लोला के इस अड़ियल रवैये से आम जनता का गुस्सा फूटने लगा था। लेकिन किंग लुडविग को ज़रा भी फ़र्क नहीं पड़ा। यहाँ तक कि उसने लोला को बवेरिया का नागरिक बना दिया। उसके दरबारियों ने उसकी आंखे खोलने और लोला की असलियत दिखाने की बहुत कोशिश की पर सब नाकाम रहा। उल्टा किंग लुडविग ने उन लोगों को ही नौकरी से निकाल दिया जो लोला के खिलाफ़ थे।
लेकिन जनता और राजदरबारियों के बढ़ते दबाव में आकर आखिरकार किंग लुडविग ने बड़े भारी मन से फरवरी, 1848 में लोला को बवेरिया छोड़ने को कह दिया। लेकिन लोला ने ऐसा करने से इंकार कर दिया और पहले पैसे की मांग रखी। आम जनता का गुस्सा राजा के प्रति बढ़ता ही जा रहा था। फिर कुछ ही हफ्तों के बाद जनता ने किंग लुडविग को राजगद्दी छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
इसके बाद लोला इंग्लैंड चली गई। उसका अगला शिकार था एक आर्मी ऑफिसर जिसका नाम था जॉर्ज ट्रैफर्ड हेराल्ड जो लोला से दस साल छोटा था। वो एक लॉयर का बेटा था जिसकी ऊपर तक पहुँच थी। जॉर्ज चाहता तो इंग्लैंड की सबसे अमीर और खूबसूरत लड़की से शादी कर सकता था पर वो लोला के प्यार में पड़ गया था। उन्होंने 1849 में शादी की, बावजूद इसके कि लोला पहले ही किसी अंग्रेज़ से शादी कर चुकी थी।
फिर जल्द ही लोला पर गैरकानूनी तौर पर शादी करने का ईल्ज़ाम लगा क्योंकि उसके अपने पति के होते हुए किसी और से शादी की थी। लेकिन लोला कोर्ट में हाज़िर नहीं हुई बल्कि वो और जॉर्ज स्पेन भाग गए। लेकिन उनकी शादीशुदा ज़िदगी कभी खुशहाल नहीं रह पाई। दोनों के बीच आए दिन लड़ाईयां होती और एक बार लड़ाई के दौरान लोला ने जॉर्ज पर चाकू से हमला बोल दिया। उसने जॉर्ज को घर से निकाल दिया और वो वापस इंग्लैंड लौट आया। लेकिन वो वापस आर्मी में नहीं गया और ना ही अपने परिवारवालों से मिला। वो Portugal चला गया जहां उसने गरीबी में दिन काटे और एक बोटिंग एक्सीडेंट में मारा गया।
1853 में लोला कैलीफॉर्निया चली गई। उसने पैट हल नाम के एक अमेरिकन से शादी कर ली। ये रिश्ता भी बाकि रिश्तों की तरह नाकामयाब रहा। आखिर में लोला ने एक और आदमी के चक्कर में पैट को छोड़ दिया। पैट को शराब की लत गई और वो डिप्रेशन में चला गया। जॉर्ज की तरह पैट भी जवानी में ही चल बसा। लोला जब 41 साल की हुई तो उसने अपना सब कुछ दान कर दिया और एक धार्मिक औरत बन गई।
लोला पूरे अमेरिका में घूमती थी, लोगों को भगवान के बारे में प्रवचन देती थी और हमेशा सफ़ेद कपड़े पहना करती थी। दो साल बाद 1861 में उसकी मौत हो गई।
लोला मोंटेज का सीक्रेट उसका खूबसूरत चेहरा या सेक्सी फिगर नहीं था बल्कि उसके स्ट्रॉंग इमोशंस थे जिनका एहसास वो अपने लवर्स को कराती थी। लोला के साथ कईं समस्याएं थी पर इसके बावजूद लोग उसकी तरफ़ खिंचे चले आते थे। वो उसकी मदद करना चाहते थे लेकिन लोला जैसी टॉक्सिक औरत मदद के काबिल ही नहीं थी।
लोला की असली प्रॉब्लम थी उसका एटीट्यूड, बिहेवियर और चॉइसेज़ जो इतने गहरे थे कि उसके प्रेमी उनमें डूबते चले गए। लोला की टॉक्सिक पर्सनेलिटी ने उन्हें भी इंफेक्ट कर दिया था। एक बीमारी की तरह इसने उनका करियर, परिवार और दोस्त सब कुछ छीन लिया था। किंग लुडविग के केस में लोला का प्यार पूरे देश के लिए जी का जंजाल बन गया था। अगर आपकी ज़िंदगी में भी लोला जैसा कोई है तो उसे जल्द से जल्द अपनी ज़िंदगी से निकाल फेंकिए इससे पहले कि उसका प्यार आपको पूरी तरह से तबाह और बर्बाद कर दे।
कुछ लोग ऐसे मुश्किल हालात में पैदा होते हैं कि वो चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते हैं। और कुछ लोला जैसे होते हैं जो खुद ही अपनी ज़िंदगी में परेशानियाँ खड़ी करते हैं और अपनी बुरी आदतों को बदलने की कोशश नहीं करते। ऐसे लोगों से बचें क्योंकि ये आपके माइंडसेट और इमोशंस दोनों को इन्फ़लुएंस करते हैं।
अगर आप नेगेटिव लोगों के साथ रहेंगे तो आप भी नेगेटिव सोचना शुरू कर देंगे। लेकिन अगर आप पॉजिटिव लोगों के साथ रहते हैं तो आप ख़ुशी, पैसा और सक्सेस को अट्रैक्ट कर पाएंगे। इससे पहले की बहुत देर हो जाए, अपनी लाइफ से टॉक्सिक लोगों को निकाल फेंकिए। अगर आपको पावर चाहिए तो अपना टाइम और एनर्जी उन पर वेस्ट मत कीजिए।
Learn To Keep People Dependent on You
ओटो वॉन बिस्मार्क 1847 के दौरान प्रशिया के पार्लियामेंट में डेपुटी थे। तब वो 32 साल के नौजवान थे जिसका ना कोई दोस्त था ना ही सहयोगी। ओटो को लगा कि उसे पार्लियामेंट के कन्सर्वटिव्स या लिब्रल्स के साथ नहीं बल्कि खुद राजा से दोस्ती बढ़ानी चाहिए।
राजा फ़्रेडरिक विलियम IV एक कमज़ोर और ढुलमुल राजा था। पार्लियामेंट के लिब्रल्स उन्हें बड़ी आसानी से अपनी बात मानने के लिए मज़बूर कर दिया करते थे। ओटो राजा फ़्रेडरिक से एक इंसान और एक लीडर के तौर पर नफ़रत करता था, लेकिन ओटो रोज़ उसे फॉलो किया करता था और धीरे-धीरे उसका वफ़ादार सपोर्टर बन गया। जब दूसरे डेपुटी राजा फ़्रेडरिक की बुराई करते तो सिर्फ ओटो ही राजा की तरफदारी किया करता।
आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई। 1851 में ओटो को राजा फ़्रेडरिक के केबिनेट में मिनिस्टर का पद मिला और तब से लेकर वो लगातार राजा का विश्वास जीतता रहा. ओटो राजा के फ़ैसलों में सीधा दखल देने लगा था। उसने राजा फ़्रेडरिक को इस बात के लिए राज़ी कर लिया कि वो अपनी फ़ौज की ताकत बढ़ाए और लिब्रल्स से दूरी बनाकर रखे। यानि राजा वही करता था जो ओटो उसे करने को कहता था।
राजा फ़्रेडरिक अपनी मर्दानगी को लेकर असुरक्षित महसूस करता था। ओटो ने उसे चुनौती देते हुए कहा कि उसे पूरी मज़बूती के साथ अपने फैसलों पर कायम रहना चाहिए. ओटो राजा को तब तक सपोर्ट करता रहा जब तक राजा फ़्रेडरिक प्रशिया का सबसे ताकतवर इंसान नहीं बन गया।
1861 में राजा फ़्रेडरिक की मौत के बाद उसका भाई विलियम राजा बना। राजा विलियम I ओटो को नापसंद करता था। वो ओटो को केबिनेट से निकलवाना चाहता था। लेकिन राजा विलियम I की भी वही प्रॉब्लम थी जो उसके भाई की थी। उसके दुश्मन चारों तरफ फैले हुए थे जो उसे गद्दी से हटाना चाहते थे।
ऐसे में ओटो एक बार फिर मदद के लिए आगे आया। उसने राजा विलियम को खड़ा किया, उसे ताकतवर बनाया और उसे फ़ैसले लेने में कॉंफिडेंट बनने की सलाह दी। अपने भाई की तरह राजा विलियम अपने दुश्मनों को हराने के लिए ओटो की मदद लेने लगा और उस पर डिपेंडेंट हो गया। जल्द ही उसने ओटो वॉन बिस्मार्क को अपना प्राइम मिनिस्टर बना दिया।
राजा विलियम और ओटो के बीच अक्सर बहुत सी बातों को लेकर बहस हुआ करती थी क्योंकि ओटो ज़्यादा कंजर्वेटिव था। लेकिन राजा विलियम उस पर इतना डिपेंडेंट हो गया था कि वो ओटो को खोना नहीं चाहता था। जब ओटो उसे इस्तीफ़ा करने की धमकी देता तो राजा विलियम तुरंत उसके फैसलों को मंजूरी दे देता। इस तरह ओटो ने ही प्रशिया में सबसे पहले स्टेट पॉलिसी एस्टेबिलिश की। कुछ सालों बाद प्राइम मिनिस्टर के तौर पर ओटो के फैसलों ने सारे जर्नम राज्यों को आपस में जोड़कर एक देश के रूप में स्थापित किया। इसके अलावा असली पावर ओटो के पास ही थी क्योंकि राजा विलियम हमेशा उसकी बात सुनता था। ओटो शाही चांसलर बन गया जिसके हाथ में सारा कंट्रोल था।
जर्मनी में 1840 के ज़्यादातर यंग पॉलिटीशियन पावरफुल लोगों के साथ दोस्ती करना चाहते थे। लेकिन ओटो ने देखा कि ये स्ट्रेटेजी बेकार और बेअसर थी। पावरफुल लोग आपको ज़िंदा निगल जाएंगे और डकार भी नहीं लेंगे। वो आपसे ज्यादा ताकतवर हैं और उन्हें आपकी मदद की कोई ज़रूरत नहीं है। उनके मुकाबले आप कुछ भी नहीं हो।
अगर आप पावरफुल बनना चाहते हो तो बेहतर होगा कि आप एक कमज़ोर राजा के साथी बन जाओ। उन्हें हर काम में हेल्प करो जब तक कि वो आप पर डिपेंडेंट ना हो जाए। अपनी ताकत और बुद्धिमानी उनके साथ शेयर करो। जल्द ही ऐसा वक्त आएगा जब वो आपके बिना एक पत्ता भी नहीं हिला पाएंगे। इस तरह आपके पास एक राजा की असली ताकत होगी और आपके कोई दुश्मन भी नहीं होंगे।
मान लो कोई आपकी सारी ईच्छा पूरी करने को तैयार है और आप उन्हें बिना हर्ट या मजबूर किए ये काम कर सकते हैं। सीक्रेट बस इतना है कि उन्हें खुद पर डिपेंडेंट बना दो। वो इंसान बनो जो एक कमज़ोर मास्टर को वो सब देता है जो उसे चाहिए और इस काम को बेस्ट तरीके से करो।
जल्द ही उन्हें लगेगा कि वो आपको ना तो हटा सकते हैं और ना ही आपके खिलाफ़ एक्शन ले सकते हैं। ओटो की तरह आप भी राजा के नौकर होंगे जबकि असली कंट्रोल आपके हाथ में होगा। राजा या रूलर आपके ऊपर इतना डिपेंडेंट हो जाएगा कि अगर आप जाने की धमकी दोगे तो वो आपकी हर बात मानने पर मज़बूर हो जाएगा।
ये सोचने की गलती मत करना कि आज़ादी आपको पावर देगी। पावर हासिल करने के लिए रिश्ते बेहद जरूरी होते हैं। आपको साथी, नौकर और कमजोर मास्टर सब चाहिए और इस बात को हमेशा याद रखना। एक इंडीपेंडेट आदमी जिसे किसी की जरूरत नहीं होती, अक्सर अकेला पड़ जाता है। वो कहीं भी जाने के लिए आज़ाद है पर उसके पास पावर नहीं होती है।
इसलिए आपके पास कोई कमाल की स्किल होनी चाहिए ताकि आपका मास्टर आपको आसानी से रिप्लेस ना कर सके। आपको एक्स्ट्राऑर्डिनरी बनना पड़ेगा या फिर आप एक हरफनमौला बन सकते हैं यानी एक ऐसा इंसान जो कईं कामों में एक साथ माहिर होता है। वो इंसान बनो जिसे मास्टर जब भी कोई प्रॉबल्म हो, तो तुरंत बुलाए। मास्टर आप पर डिपेंडेंट है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो आपसे प्यार करता है बल्कि शायद वो आपसे डरता है। आप डर को कंट्रोल कर सकते हैं और प्यार एक अनस्टेबल ईमोशन है।
Use Selective Honesty and Generosity to Disarm Your Victim
ये घटना है 1926 की। साफ़-सुथरे कपड़े पहने हुए एक आदमी एक मशहूर गैंगस्टर अल कैपोन से मिलने पहुंचा। वो आदमी बातचीत के लहज़े से यूरोपियन लग रहा था। उसने बताया कि उसका नाम काउंट विक्टर लस्टिग है।
काउंट विक्टर लस्टिग के पास अल कैपोन के लिए एक बिजनेस प्रपोजल था। उसने कहा कि अगर अल कैपोन उसे $50,000 दे तो वो ये पैसा न्यू यॉर्क में इन्वेस्ट करेगा और रकम दुगनी करके लौटाएगा। हालांकि अल कैपोन के पास पैसों की कमी नहीं थी पर वो आसानी से अजनबियों पर भरोसा नहीं करता था। उसने काउंट विक्टर की तरफ़ गौर से देखा। उसका बॉडी मूवमेंट और स्टाइल काफ़ी क्लासी था। अल कैपोन ने तय किया कि वो उस आदमी को एक मौका देगा।
उसने काउंट विक्टर को $50,000 दिए और याद दिलाया कि उसे ये पैसे दो महीने में डबल करके लौटाने हैं। इस तरह काउंट विक्टर पैसे लेकर चला गया। उसने वो पैसा एक सेफ़्टी बॉक्स में रखा और न्यू यॉर्क चला गया जहां उसे बाकि के काम निपटाने थे।
काउंट विक्टर ने उन $50,000 को कभी हाथ भी नहीं लगाया। उसने ना तो वो पैसा इन्वेस्ट किया और ना उन्हें डबल करने की कोशिश की। दो महीने बाद वो अल कैपोन के पास लौटा और उसके सामने पैसे रखता हुआ बोला “मैं माफी चाहता हूँ मिस्टर अल कैपोन। मैं अपना वादा पूरा नहीं कर पाया। जैसा मैंने प्लान किया था, वैसा हुआ नहीं तो ये रहे आपके $50,000, जो मैं आपको वापस लौटाता हूँ.”
अल कैपोन अपनी कुर्सी से उठा। उसने काउंट विक्टर को देखा और फिर उस पैसे की तरफ़ देखा जो उसने डेस्क पर रखे थे। उसने कहा “तुम्हें पहली बार देखते ही मैं समझ गया था कि तुम एक ठग हो। मुझे लगा तुम $100,000 लेकर आओगे या फिर मेरे पैसे लेकर भाग जाओगे। लेकिन तुम पूरी ईमानदारी के साथ पूरे पैसे वापस लौटाने आए हो.”
काउंट विक्टर ने अपना सिर झुकाया और एक बार फिर माफी मांगने लगा। वो जाने के लिए मुड़ा कि तभी अल कैपोन बोला “माई गॉड! तुम कितने ईमानदार आदमी हो! अगर तुम्हें वाकई पैसों की जरूरत है तो ये लो मेरी तरफ़ से $5000.”
और उसने $50,000 में से $5000 निकालकर काउंट विक्टर को दिए।
काउंट विक्टर हैरान रह गया। उसने कईं बार अल कैपोन का शुक्रिया अदा किया और पैसे लेकर खुशी-खुशी चला आया क्योंकि उसे वाकई में $5000 की जरूरत थी।
काउंट विक्टर अपने टाइम का मशहूर कॉन आर्टिस्ट यानी धोखेबाज़ या ठग था। वो कईं भाषाएं बोल सकता था और बड़े ही क्लासी स्टाइल में रहता था। उसे बहुत बोल्ड और बेबाक समझा जाता था और वो लोगों को बडी आसानी से मेनिपुलेट कर लेता था। काउंट विक्टर मिनटों में किसी की भी पर्सनेलिटी एनालाईज़ कर लेता था और उनकी कमज़ोरी समझ लेता था। सबसे खास बात तो ये थी कि उसे पता था कि लोगों का भरोसा जीतने का सबसे असरदार तरीका है उनके साथ ईमानदारी से पेश आना।
Selective honesty का मतलब है लोगों के साथ ईमानदारी या generosity यानी उदारता से पेश आना ताकि उन पर आपका अच्छा इंप्रेशन पड़े। आपकी ईमानदारी उन्हें आपके छुपे हुए इरादे और असलियत का पता नहीं चलने देगी।
अल कैपोन को बेवकूफ बनाना खतरे से खाली नहीं था क्योंकि वो खुद सबसे बड़ा कॉन आर्टिस्ट था। अल कैपोन हमेशा चोर, बदमाश और झूठों से घिरा रहता था। उसे उन लोगों का साथ बड़ा थकाने वाला और depressing लगता था। उसके साथियों में से कोई भी ईमानदार या रहमदिल नहीं था।
ऐसे में काउंट विक्टर से उसका सामना हुआ जिसने उसके पैसे में से एक रुपया भी नहीं चुराया था।
काउंट विक्टर की selective honesty के सामने अल कैपोन झुक गया। उसके लिए ये बात एकदम नई और अनएक्सपेक्टेड थी। यही वजह थी कि वो आसानी से distract हो गया और काउंट विक्टर के झांसे में आ गया। अल कैपोन ने सोचा कि काउंट विक्टर वाकई में एक ईमानदार और गरीब इंसान है इसलिए उसने उसे $5000 दे दिए जो काउंट विक्टर को चाहिए थे।
ईमानदारी लोगों को झांसा देती है इसलिए लोग आपकी असलियत को समझ नहीं पाते। इसे giving before taking यानी लेने से पहले देना भी कहा जाता। इस बारे में सोचो। किसी से डायरेक्टली कुछ लेना खतरे से खाली नहीं होता क्योंकि सामने वाला आपसे बदला जरूर लेगा। और डायरेक्टली मांगना भी ठीक नहीं है। चाहे आप कितना भी पोलाईटली बात करें इस बात के चांसेस ज्यादा है कि सामने वाला मना कर देगा । लेकिन अगर आप देने से पहले ले रहे हैं तो सामने वाले को आप पर भरोसा हो जाएगा।
लोगों को कुछ समय तक देते रहो ताकि आपका फर्स्ट इंप्रेशन अच्छा पड़े। एक बार उन्हें आप पर भरोसा हो जाए तो फिर उन्हें झांसा देना मुश्किल नहीं होगा। उन्हें कभी शक नहीं होगा कि आप उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं क्योंकि आपकी ईमानदारी उन्हें भुलावे में रखेगी।
गिफ्ट और काइंडनेस यानी दया से किसी का भी दिल जीता जा सकता है। इससे हमारी सुरक्षा कमज़ोर पड़ जाती है जिससे हमें टारगेट करना आसान हो जाता है। ऐसे सेल्समैन, scammer (धोखेबाज़) और अनजान लोगों से दूर रहें तो आपको फ्री गिफ्ट देते हैं। वो कुछ देने के बहाने असल में आपसे कुछ लेने की फिराक में होते हैं।
When Asking for Help, Appeal to People’s Self-Interest, Never to Their Mercy or Gratitude
433 BC ग्रीस में पेलोपोनेशियन वॉर से पहले, कोरसीरा आइलैंड और कोरिंथ राज्य, एक दूसरे से मुकाबला करने वाले दो opposite साइड थे, जो आपस में हमेशा लड़ते रहते थे। ये दोनों ही पक्ष अपने-अपने एम्बेस्डर भेजकर एथेंस को अपनी तरफ़ करने की हर मुमकिन कोशिश में लगे थे।
क्योंकि एथेंस जिसके साथ होगा जीत भी उसी की होगी और हारने वाले को करारी शिकस्त मिलेगी।
कोरसीरा के एम्बेस्डर ने पहले बात की। उसने ये स्वीकार किया कि उन्होंने पहले कभी एथेंस की मदद नहीं की थी। यहाँ तक कि कोरसीरा ने तो एथेंस के दुश्मनों से हाथ मिला रखा था। कोरसीरा और एथेंस के बीच ना तो दोस्ती थी और ना ही एक-दूसरे के प्रति वो एसहसानमंद थे। हालांकि उसके पास ऑफर करने के लिए सिर्फ एक ही चीज़ थी।
कोरसीरा की नेवी एथेंस की नेवी के साइज़ और ताकत के मुकाबले दूसरे नंबर पर आती थी। अगर कोरसीरा और एथेंस पार्टनर बन जाते तो दोनों को रोकना एथेंस के दुश्मन स्पार्टा के लिए नामुमकिन हो जाता।
इसी बीच कोरिंथ के एम्बेसडर ने एक जोशीला और शानदार भाषण दिया जो भावनाओं से भरा हुआ था, जो कोरसीरा की अप्रोच से एकदम अलग था। कोरिंथ के एम्बेसडर ने उन सब चीजों का जिक्र किया जो उनके राज्य ने एथेंस के लिए किया था। उसने एथेंस को दोस्ती और वफादारी की याद दिलाते हुए कहा कि अगर एथेंस कोरिंथ के साथ अपने करीबी रिश्तों को भुलाएगा तो सबकी नज़रों में उसकी इमेज़ खराब हो जाएगी।
कोरिंथ के एम्बेसडर ने हेलेनिक लॉ का जिक्र करते हुए कहा कि एथेंस कोरिंथ के उन सारे एहसानों का बदला चुकाए जो कोरिंथ ने उस पर किए हैं। उसने एथेंस को एक-एक कर वो सारे एहसान याद दिलाते हुए कहा कि एथेंस को एहसानफ़रामोश नहीं होना चाहिए। भाषण के बाद एथेंस की एसेम्बली ने इस बारे में विचार-विमर्श किया। इस मुद्दे पर काफ़ी बहस करने के बाद सबने अपने-अपने फ़ैसले पर वोट दिया। आखिरकार ये तय हुआ कि एथेंस कोरसीरा से हाथ मिलाएगा और कोरिंथ से अपना रिश्ता खत्म कर लेगा।
एथेंस एक प्रैक्टिकल और रिएलिस्टिक देश था। इमोशंस और आदर्शों के लिए उनके दिल में कोई जगह नहीं थी। कोरिंथ के एम्बेसडर ने कभी सोचा भी नहीं था कि एथेंस पर किए गए एहसानों की याद दिलाकर उसने उन्हें और भड़का दिया था क्योंकि एथेंस को ऐसा लगा कि कोरिंथ की मदद लेकर उनसे बडी गलती हुई है और वो कोरिंथ के एहसानों तले दब गए हैं।
ऐथिनाई लोगों को दोस्ती और एहसान जैसी चीजों की कोई परवाह नहीं थी। उन्हें पता था कि चाहे दूसरे देश एथेंस को एहसानमंद समझे तो भी वो एथेंस से दुश्मनी मोल लेने का खतरा नहीं उठा सकते। एथेन के पास ताकत थी। वो किसी भी देश को धूल चटा सकते थे जो उनके खिलाफ़ खड़े होने की हिम्मत करता।
एक प्रैक्टिकल इंसान हमेशा फ्यूचर को ध्यान में रखते हुए फ़ैसले लेता है, अतीत के बेसिस पर नहीं। अगर आप किसी पावरफुल शख्स की मदद लेना चाहते हैं तो पहले उनके स्वार्थ का ध्यान रखें और उन्हें साबित करके दिखाएं कि आप कैसे उनके काम आ सकते हैं। वो प्यार या इमोशंस को ज्यादा तवज्जो नहीं देते। अगर आप उन्हें प्यार और इमोशंस के साथ अप्रोच करने की कोशिश करेंगे तो उन्हें लगेगा कि आप उनका टाइम वेस्ट कर रहे हैं या फिर आप हर जगह से मायूस हो चुके हैं।
लोगों को अलग-अलग देश की तरह देखो जिनके कल्चर और बिलिफ़्स आपसे एकदम अलग हैं। लेकिन आप उन्हें ये दिखाकर कि आप क्या ऑफर कर सकते हैं, इन सारे डिफरेंसेज़ को दूर कर सकते हैं।
सामने वाले को स्टडी करो और देखो कि उसे क्या चाहिए। क्या उन्हें अच्छी रेपुटेशन चाहिए या सोशल स्टेटस? क्या उनका कोई दुश्मन है जिन्हें हराने में आप उनकी मदद कर सकते हो? या फिर उन्हें सिर्फ पैसा और पावर चाहिए? बस ये पता करो कि उनकी स्वार्थ को कैसे पूरा किया जाए। उनसे पूछो कि आप उनके लिए क्या कर सकते हो। खुद को इतने काम का बनाओ कि ज़रुरत पड़ने पर वो भी आगे बढ़कर आपकी मदद करने को तैयार हो जाए।
Pose As a Friend, Work as A Spy
जोसफ़ डुवीन 1904 से लेकर 1940 के दशक में अमेरिका का सबसे बड़ा आर्ट डीलर हुआ करता था। पूरे अमेरिका के मिलियनेयर उसके क्लाइंट हुआ करते थे। सिर्फ एक इंपोर्टेंट आदमी ने जोसफ़ से आर्ट पीस लेने से मना कर दिया था। ये और कोई नहीं बल्कि मसहूश बिजनेसमैन एंड्रू मेलन था। जोसफ़ ने कसम खाई थी कि एंड्रू जल्द ही उसका क्लाइंट बनेगा।
उसके दोस्तों ने उससे कहा कि ये नामुमकिन है क्योंकि एंड्रू एक फॉर्मल और अकेला रहना वाला इंसान है। एंड्रू जोसफ़ को जानता था। उसे ये ओवर फ्रेंडली और बातूनी आर्ट डीलर पसंद ही नहीं था। लेकिन जोसफ़ भी आसानी से हार मानने वालों में से नहीं था। उसने अपने दोस्तों को बताया कि एंड्रू उससे और सिर्फ़ उससे ही खरीदेगा। उसने एंड्रू के स्टाफ़ में से कुछ लोगों को अपना जासूस बना लिया। उसे एंड्रू की आदतें पता चली और ये पता चला कि उसे क्या पसंद है और क्या नापसंद। जल्द ही जोसफ़ को एंड्रू के बारे में इतनी जानकारी हो गई जितना उसकी बीवी को थी। 1921 में एंड्रू लंदन गया। वो क्लैरिज होटल में थर्ड फ्लोर पर एक लक्जरी सुईट में ठहरा था। जोसफ़ भी उसी होटल में रूका था। उसने सेकंड फ्लोर पर एंड्रू के ठीक नीचे वाला सुईट बुक कराया।
जोसफ़ ने अपने वैलै को एंड्रू के वैलै से दोस्ती बढ़ाने को कहा। एक दिन उसे पता चला कि एंड्रू बाहर जा रहा है और एलिवेटर में है। कुछ मिनट बाद ही जोसफ़ ने एलिवेटर का बटन दबाया और एलिवेटर के अंदर एंड्रू को देखा। उसे देखते ही उसने कहा “आप कैसे हैं मिस्टर मेलन? मैं कुछ आर्टवर्क देखने नेशनल गैलरी की तरफ जा रहा हूँ” जोसफ़ ने पहले से सब कुछ प्लान कर रखा था इसलिए उसे पता था कि एंड्रू कहाँ जा रहा। अब क्योंकि एंड्रू भी वहीँ जा रहा था तो दोनों साथ में म्यूजियम गए। जोसफ़ जानता था कि एंड्रू किस तरह का आर्ट पसंद करता है। उसने अपनी नॉलेज और उसकी मिलती-जुलती चॉइस ने एंड्रू को काफी इंप्रेस किया। एंड्रू हैरान रह गया। उसने सोचा भी नहीं था कि जोसफ़ इतना खुशमिज़ाज निकलेगा और उन दोनों की पसंद इतनी मिलती-जुलती होगी।
न्यू यॉर्क वापस आने के बाद एंड्रू ने जोसफ़ की आर्ट गैलरी में आना-जाना शुरू कर दिया। उसे उसका कलेक्शन बहुत पसंद आया। हर आर्ट पीस एकदम उसकी पसंद के मुताबिक था। बल्कि जो उसे एकजेक्टली चाहिए था, वो सब जोसफ़ के पास था। उस दिन के बाद से एंड्रू जोसफ़ का सबसे खास क्लाइंट बन गया था जो खुले दिल से पैसा खर्च करता था।
जोसफ़ बड़ा महत्वाकांक्षी इंसान था। वो कुछ भी चांस पर नहीं छोड़ता था। एंड्रू के अलावा वो कई मिलियनेयर क्लाइंट्स की जासूसी करवाया करता था। जोसफ़ उनके स्टाफ को छुपछुपकर पैसे दिया करता था और बदले में उनसे खास जानकारी जुटाया करता था जैसे कि उसके क्लाइंट्स का शेड्यूल क्या है, उन्हें क्या पसंद है और क्या नापसंद, वगैरह। जोसफ़ के कॉम्पटीटर्स को लगता था कि जोसफ़ के पास सिक्स्थ सेंस है। उनमें से कइयों ने तो जोसफ़ की वजह से अपने इम्पोर्टेंट क्लाइंट्स को छोड़ दिया था। जासूसी का यही फायदा है। इसमें ऐसा लगता है जैसे आप सब कुछ जानते हैं और आपका टारगेट आपको अनदेखा नहीं पाता है।
अपने गोल्स अचीव करने में फ्यूचर इवेंट्स पर कुछ कंट्रोल होना भी शामिल है। इसमें प्रॉबल्म ये है कि लोग अपने प्लान, थॉट्स और फीलिंग्स आपसे शेयर नहीं करेंगे। आपके टारगेट अपनी कमज़ोरी, जुनून और छुपे इरादे ज़ाहिर नहीं होंगे देंगे। इसलिए आपको ही चुपचाप सबका पता लगाना होगा।
आप लोगों को पैसे देकर उनसे जासूसी करवा सकते हैं, जैसे जोसफ़ ने किया था। लेकिन इसमें एक खतरा ये भी है कि आपके जासूस कभी भी आपके खिलाफ हो सकते हैं और आपके राज़ खोल सकते हैं। इससे अच्छा ये होगा कि आप दोस्त बनकर खुद ही सारी जानकारी जुटाने की कोशिश करें।
बातचीत के दौरान आप खामोश रहकर लोगों को खुद अपना राज़ उगलने दें। कम से कम शब्दों में अपनी बात रखें और बाकि उन्हें बताने दें। उनके शब्दों के पीछे छुपे मतलब को समझने की कोशिश करें और ऐसे सवाल पूछे जिनका जवाब हाँ या ना में ना दिया जा सके।
आप झूठमूठ अपना कोई सीक्रेट उन्हें बताने का नाटक करें और फिर उनका रिएक्शन देखें कि उनका असली इरादा या प्लान क्या है। जैसे example के लिए, आप ये चेक कर सकते हैं कि आपकी दी हुई झूठी जानकारी को सुनकर किसके चेहरे पर क्या एक्स्प्रेशन आए हैं जिससे आपको पता चल जाएगा कि अब उनका अगला कदम क्या होगा।
आप बेहद तमीज़ के साथ पेश आते हुए मनगढ़ंत बातें बना सकते हैं। इससे सामने वाले को ये शक नहीं होगा कि आप कोई जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। खुद के बारे में कोई झूठा राज़ बताएँ और फिर देखें वो कैसे अपना सीक्रेट खुद आपको बताते हैं। एक और ट्रिक ये है कि सामने वाले की बात को contradict करें। इससे उन्हें गुस्सा आएगा और वो गुस्से में आकर सच उगल देंगे।
Crush Your Enemy Totally
वू चाओ एक ड्यूक की जवान और खूबसूरत बेटी थी जो 625 AD में पैदा हुई थी। वो बादशाह ताई सुंग के शाही हरम का हिस्सा बन गई थी। शाही हरम एक बहुत ही खतरनाक जगह थी। यहाँ की सारी रखैलें हमेशा आपस में मुकाबला किया करती थी कि कौन सबसे ज़्यादा बादशाह की चहेती बनकर रहेगी।
वू चाओ अपनी खूबसूरती और मज़बूत व्यक्तित्व के चलते सबसे आगे थी लेकिन उसने खुद पर कभी घमंड नहीं किया। वो जानती थी कि बादशाह कभी भी उसे अपने दिल से उतार सकता है। वू चाओ पहले से ही अपने भविष्य की योजना बनाकर रखती थी।
उसने काओ सुंग को seduce करना शुरू कर दिया जो बादशाह का बिगड़ैल बेटा था। वू चाओ उससे सिर्फ उसी वक्त मिलने के बहाने ढूंढती जहां वो एकदम अकेला होता: यानि शाही बाथरूम के अंदर। जब बादशाह ताई सुंग की मौत हुई तो काओ सुंग अगला बादशाह बना।
वू चाओ का भी वही हश्र हुआ जो एक मरे हुए बादशाह की रानियों और रखैलों का होता है। उसका सिर मूँड़वाया गया और उसे नन बनने पर मज़बूर कर दिया गया। वू चाओ को पूरी ज़िंदगी अब कॉन्वेंट में गुज़ारनी थी। लेकिन उसने योजना बनाई और सात साल बाद वहाँ से निकल भागी।
वू चाओ ने कॉन्वेंट में रहने के दौरान ही बड़े गुपचुप तरीके से नए बादशाह काओ सुंग और उसकी पत्नी से संपर्क साध लिया था। उसने उन्हें एक शादी फर्मान पर दस्तखत करने पर मज़बूर कर दिया जिसके तहत वो उनके महल में लौटकर उनके शाही हरम में रह सकती थी।
वू चाओ रानी की खास सहेली बन गई। बावजूद इसके कि वो बादशाह का बिस्तर भी गर्म किया करती थी लेकिन रानी को इस बात से कोई एतराज़ नहीं था क्योंकि वू चाओ उसकी बहुत ही खास और कीमती सहेली थी। दूसरी बात ये थी कि रानी के पास अभी इतनी ताकत नहीं थी क्योंकि उसने अभी तक किसी वारिस को जन्म नहीं दिया था।
इस बीच, वू चाओ गर्भवती हो गई और 654 AD में उसने एक बच्चे को जन्म दिया। एक दिन रानी उससे मिलने आई। रानी के जाने के तुरंत बाद वू चाओ ने खुद अपने हाथों से अपने बच्चे का गला घोंटकर मार दिया । सबने इसका ईल्ज़ाम रानी पर लगाया क्योंकि सबको यही लगा कि रानी वू चाओ के बच्चे से जलती थी इसलिए उसने उसे मार डाला। जल्द ही रानी पर कत्ल का ईल्ज़ाम घोषित हुआ और उसे फांसी दे दी गई।
वू चाओ नई रानी बन गई। बादशाह काओ सुंग ने राज्य की सारी जिम्मेदारी वू के कंधों पर डाल दी क्योंकि वो खुद ऐशों-आराम में जीना चाहता था और उसके बाद से वू चाओ को रानी वू के नाम से जाना जाने लगा।
रानी वू के अनेक दुश्मन थे। रानी वू को एक मिनट भी सांस लेने की फुर्सत नहीं मिलती थी। जब वो 41 साल की हुई तो उसके मन में ये डर बैठ गया कि कहीं उसकी भतीजी उसकी जगह ना ले ले क्योंकि वो राजा की खासमखास बनती जा रही थी। रानी वू ने उसे खाने में ज़हर देकर अपने रास्ते से हटा दिया।
675 AD में रानी वू के सबसे बड़े बेटे और राज्य के वारिस की भी ज़हर की वजह से मौत हो गई। अगला वारिस राजा का नाज़ायज बेटा था जिस पर झूठा ईल्ज़ाम लगाकर राज्य से निकाल दिया गया।
राजा काओ सुंग 683 में मरा। रानी वू ने सबको ये यकीन दिला दिया था कि उसका दूसरा बेटा राज्य संभालने में असमर्थ है इसलिए उसके छोटे बेटे को राजा बनाया गया जो रानी वू के हाथ की कठपुतली था।
अगले पाँच सालों में महल के अंदर कईं बगावतें हुई। लेकिन ये सारी बगावतें कुचल दी गई और इनमें शामिल सभी लोगों को फांसी पर चढ़ा दिया गया। 688 तक रानी वू ने अपने सारे दुश्मनों और बागियों का खात्मा कर दिया था। 690 में उसने खुद को बुद्ध का वंशज और ईश्वरीय अवतार घोषित कर दिया।
रानी वू इसलिए शासन कर पाई क्योंकि तांग राजवंश में से कोई नहीं बचा था। वो शांतिपूर्वक 15 सालों तक राज्य करती रही। 705 में रानी वू जब 80 साल की हुई तो उसे गद्दी छोड़ने पर मज़बूर कर दिया गया।
वो सबसे अलग, ताकतवर और तेज़ दिमाग वाली औरत थी। रानी वू के ज़माने में महत्वाकांक्षी औरतों की कहानी राजा के हरम से शुरू होकर किसी कॉन्वेंट में जाकर खत्म होती थी। लेकिन रानी वू सबसे अलग थी। वो जानती थी वो कभी कमज़ोर नहीं पड़ सकती। अगर वो अपने दुश्मनों का सफ़ाया नहीं करती तो शायद खुद मारी जाती। रानी वू ने 40 सालों तक राज किया। चाईना के ईतिहास में ये अब तक का सबसे लंबा शाशनकाल रहा है। रानी वू के अर्श से फ़र्श तक पहुँचने की ये खूनी दास्तान सब जानते हैं. फिर भी उसे चाईना के ईतिहास में सबसे ज़्यादा काबिल और ताकतवर रानी के तौर पर देखा जाता है।
प्राचीन चीनी ईतिहास में ऐसे कईं दुश्मनों की कहानियाँ मिलेंगी जिन्हें ज़िंदा छोड़ने पर उन्होंने बदला लेने में कभी चूक नहीं की। सन ज़ू के क्लासिक “द आर्ट ऑफ़ वॉर” में इस बात का जिक्र है। आपके दुश्मन मौका मिलते ही आपकी जान ले लेंगे इसलिए अगर आप उन पर दया करेंगे या दोस्त समझकर उन्हें जाने देंगे तो आपको बाद में इस बात का खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है।
आपके दुश्मनों का सिर्फ एक ही मकसद है, आपसे बदला लेना और आपको मारना। हो सकता है कि वो आपके सामने दोस्ती का नाटक करें पर असल में वो आपको खत्म करने का सही मौका ढूंढ रहे होंगे। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप खुद ही उनका खात्मा कर दें। उनका नामों-निशान मिटा दें। जब आपका एक भी दुश्मन नहीं बचेगा तभी आप महफ़ूज रह पाएंगे और सुकून से जी पाएंगे।
कभी भी पूरी तरह से निश्चिंत होकर मत बैठिए। आधी लड़ाई जीतना काफ़ी नहीं है। अपने दुश्मनों के साथ कभी समझौता मत करो। आपको ज़रा भी नरम नहीं पड़ना है। सच तो ये है कि आप और आपके दुश्मन कभी दोस्त बन ही नहीं सकते। वो आपकी ज़रा सी कमज़ोरी का फायदा उठाने से भी नहीं चूकेंगे।
अगर आप उनका सफ़ाया नहीं कर सकते तो उन्हें कॉम्पटीशन से हटा दो। उन्हें पूरी तरह से कमज़ोर करके उन्हें एकदम बेबस कर दो। उन्हें ऊपर उठने ही मत दो। वो दोस्ती की बात करेंगे लेकिन आपको भरोसा नहीं करना है। हमेशा चौकन्ने रहो। उनकी एक-एक चाल की खबर आपको होनी चाहिए। उन्हें पूरी तरह से नेस्ता-नाबूद कर दो।
Conclusion
इस समरी में आपने जिन लॉज़ ऑफ़ पावर के बारे में सीखा है,आइए उन्हें एक बार दोहराते हैं - कभी भी अपने मास्टर से बेहतर दिखने की कोशिश मत करो।
दोस्तों पर कभी आँख मूँदकर भरोसा मत करो।
अपने ईरादे हमेशा छुपाकर रखो।
जितना हो सके उतना कम बोलो।
जान से भी ज़्यादा अपनी ईज़्ज़त की रक्षा करो।
आपने ये भी जाना कि आपको हर हाल में अटेंशन पानी होगी। लोगों से अपने काम निकलवाओ।
लोगों को खुद आपके पास आने पर मज़बूर करो। लोगों से बहस करके नहीं बल्कि अपने काम से उनका मुंह बंद करो। जो नाखुश हैं और बदनसीबी का रोना रोते हैं, उनसे दूर रहो। लोग आपके ऊपर डिपेंडेंट रहें इसके लिए आपको क्या तरीके अपनाने चाहिए, आपने ये भी जाना। लोगों के स्वार्थ को पूरा करो। उनसे दोस्त की तरह पेश आओ पर असल में आपको उनके हर इरादे की खबर होनी चाहिए और फ़ाईनली अपने दुश्मनों का पूरी तरह से सफ़ाया कर दो।
आप खुद को किन पावरफुल पर्सनेलिटीज़ के साथ रिलेट कर पाते हो? आपको क्या लगता है कि आपको अपनी लाइफ में अभी कौन सी स्ट्रेटेज़ीज अपनानी चाहिए?
ओरिजिनल बुक में और भी बहुत सारे लॉज़ हैं। खुद पर यकीन रखो। पावरलेस होने से अच्छा है पावरफुल होना। तो आज से ही अपनी लाइफ में इन 48 लॉज़ को यूज़ कर फ़ायदा उठाना शुरू कर दो।