10 SIMPLE SOLUTIONS FOR BUILDING SELF-ESTEEM- How to End Self-Doubt, Gain Confidence, and Create a Positive Self-Image
Glenn Schiraldi
इंट्रोडक्शन
क्या आपमें भी लो सेल्फ़ -एस्टीम है? क्या आप शर्मीले हैं, आपमें कॉन्फिडेंस की कमी है या आप ख़ुद पर डाउट करते हैं? अगर आप ये चीज़ें फील करते हैं तो यह समरी आपके बहुत काम आएगी. ये आपको यकीन दिलाएगी कि आपको छुपने की कोई जरूरत नहीं है.
क्या आपको पता है कि सेल्फ़ -एस्टीम आपके लिए ज़रूरी क्यों है?
क्योंकि सेल्फ़-एस्टीम आपको ख़ुश रखता है
सेल्फ़ -एस्टीम आपकी मोटिवेशन बढ़ाता है
सेल्फ़ -एस्टीम आपकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ को इम्प्रूव करता है
सेल्फ़ -एस्टीम आपके अंदर नई उम्मीद जगाता है
एक ख़ुशहाल और संतुष्ट लाइफ जीने के लिए आपको ये सीखना होगा कि अपना सेल्फ़ -एस्टीम कैसे बढाया जाए. इस समरी में आप सेल्फ़ -एस्टीम की इम्पोर्टेंस के बारे में जानेंगे और आपको कुछ टिप्स भी बताए जाएँगे कि ख़ुद से और ज़्यादा प्यार कैसे किया जाए.
ज़िंदगी सिर्फ़ एक बार मिली है तो क्यों हम किसी और के जैसे बने. हम ख़ुद को ही इम्प्रूव करना सीखेंगे. ख़ुद को कोसने और नफरत करने से कोई फायदा नहीं है. आपको अपना सेल्फ़ -एस्टीम बूस्ट करना होगा और अपनी लाइफ को बदलना होगा और ऐसा करने का तरीका ये समरी आपको सिखाएगी.
Know What Self-Esteem Is
जब आपकी सेल्फ़ -एस्टीम हाई होती है तो आप अपने बारे में एक रिएलिस्टिक और क्लियर ओपिनियन लेकर चलते हो. सेल्फ़ -एस्टीम के लिए अपनी ताकत और कमज़ोरी के बारे में जानना ज़रूरी है और उन्हें एक्सेप्ट करना ज़रूरी है. सेल्फ़ -एस्टीम इस बात से भी रिलेटेड है कि हम जो भी हैं उसे एप्रीशिएट करे. जैसे कि हमारा कोई फ्रेंड हमें पसंद करता है. वो हमें हमारी अच्छाई और बुराई दोनों को एक्सेप्ट करता है. सेल्फ़ -एस्टीम भी ठीक इसी दोस्त की तरह होता है.
सेल्फ़ -एस्टीम को आप घमंड या सेल्फिशनेस से जोड़कर मत देखो. एक इंसान जिसके अंदर सेल्फ़ -एस्टीम है, वो अपनी सेल्फ़ -वर्थ यानी वैल्यू को समझता है लेकिन फिर भी वो हम्बल यानी विनम्र रहता है. चाहे वो कितना भी काबिल क्यों ना हो लेकिन वो ख़ुद को कभी दूसरों से बड़ा नहीं समझता. सेल्फ़ -एस्टीम और सेल्फ़ - कॉन्फिडेंस में भी फर्क है. सेल्फ़ -कोंफीडेंस हमारे एक्श्न के ज़रिए नज़र आता है पर सेल्फ़ -एस्टीम एक इंटरनल फीलिंग है.
सेल्फ़ -एस्टीम के तीन main बिल्डिंग ब्लॉक्स है. फर्स्ट बिल्डिंग ब्लॉक है अनकंडीशनल वर्थ. ये एक इनर फीलिंग है जो सबमें होती है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके पास कितना पैसा है या आप कितने सक्सेसफुल है, आपके अंदर अनकंडीशनल सेन्स ऑफ़ वर्थ होनी ही चाहिए.
हर इंसान के अपने कोर वर्थ और एक्सटर्नल यानी बाहरी फैक्टर्स होते है जो उसके सेन्स ऑफ़ वर्थ को इन्फ्लुएंस करते है. अपने कोर वर्थ को आप क्रिस्टल की तरह समझो. इस क्रिस्टल का हर साइड एक characteristic या ख़ासियत को दिखाता है जो आपकी सेल्फ़ -वर्थ को मज़बूत करता है. जैसे example के लिए आप प्यार, लॉजिक, पेशेंस, ब्यूटी और रिस्पेक्ट जैसी qualities मिल सकती हैं. इन इंटरनल characteristics को डेवलप करने से हम अपने कोर वर्थ और अपनी सेल्फ़ -एस्टीम को मज़बूत कर सकते है.
एक्सटर्नल वो बाहरी फैक्टर्स होते हैं जो इंसान के सेल्फ़ -वर्थ को अफेक्ट करते है जैसे कि जेंडर, सोशल स्टेटस, जाती, उम्र और परिवार. जैसे मान लो अगर किसी बच्चे को एब्यूज किया जाए और उसके साथ किसी तरह की हिंसा हुई हो तो वो जरूर सदमे में चला जाएगा. ये सदमा उसके सेन्स ऑफ़ वर्थ को बर्बाद कर सकता है. अगर कोई स्पेशलिस्ट ऐसे बच्चे को ट्रीट करे तो वो शायद ठीक हो सकता है और फिर से एक बार सेफ फील कर सकता है. अगर ऐसा नहीं होता है तो ज़िंदगी भर वो ख़ुद को बेकार समझता रहेगा.
हमारे अंदर हमेशा एक कशमकश चलती रहती है कि अपने कल्चरल डिमांड्स को हम अपनाएँ या उसके ख़िलाफ़ जाएँ. अगर हम सोसाईटी की सुनेंगे तो हमेशा ख़ुद को अपने एक्सटर्नल फैक्टर्स के बेसिस पर जज करते रहेंगे. जैसे कि अगर हमारे पास ज़्यादा पैसे या महंगी गाडी नहीं है तो हमारा सेल्फ़ -एस्टीम ख़ुद ही कम हो जाएगा.
हमें ये सीखना होगा कि अपनी सेल्फ़ -एस्टीम को इन एक्सटर्नल फैक्टर्स से कैसे अलग किया जाए. हमें अपनी कोर वर्थ के बेसिस पर अपनी वैल्यू करना सीखना होगा. इमेजिन कीजिए कि एक बच्चे को उसके ही पेरेंट्स जज कर रहे हैं तो क्या होगा. पेरेंट्स के लिए उनका बच्चा बड़ा अनमोल होता है फ़िर चाहे वो कैसा भी हो, चाहे वो रोंदू हो या घर में तोड़-फोड़ करे या हंसे या मुस्कुराए. बच्चा चाहे जो भी करे पेरेंट्स उसका कभी बुरा नहीं मानते क्योंकि वो उसे दिलो-जान से प्यार करते है. आपको भी ख़ुद को उसी तरह से देखना होगा जैसे माता-पिता अपने बच्चे को देखते है. आपको ये एक्सेप्ट करना होगा कि आप प्यार और रिस्पेक्ट डिजर्व करते हो चाहे जो भी आपका सोशल स्टेट्स हो और जो कुछ भी आपने अचीव किया हो.
सेल्फ़ -एस्टीम बनाने का सेकंड बिल्डिंग ब्लॉक है प्यार. प्यार का मतलब हुआ कि जिसे हम बहुत प्यार करते है उसके लिए हमेशा अच्छा चाहते हैं. ये डेली कमिटमेंट आपकी सेल्फ़ -एस्टीम को बढ़ाने के लिए बेहद ज़रूरी है. अगर आपको दूसरों का प्यार नहीं मिल रहा है तो क्या, आप ख़ुद से भी प्यार कर सकते है.
जैसे example के लिए जिन बच्चों को अपने पेरेंट्स का प्यार-दुलार मिलता है बड़े होने पर उनके अंदर सेल्फ़ -एस्टीम बाकी बच्चों से ज़्यादा होता है. जो पेरेंट्स अपने बच्चों को प्यार करते है वो उनकी हर ईच्छा का सम्मान करते है, उनके सपनों को सपोर्ट करते है और उनकी सक्सेस में contribute भी करते है. दूसरी तरफ बचपन में एब्यूज का शिकार हुए बच्चे ख़ुद से प्यार कर सकते है और अपना ख़ुद का सपोर्ट सिस्टम बन सकते है.
सेल्फ़ -एस्टीम का थर्ड बिल्डिंग ब्लॉक है ग्रोथ. लोग जब प्रोडक्टिव और सक्सेसफुल होते है तो उनको ख़ुद पर नाज़ होता है. ऐसे लोग दूसरों को भी आगे बढने में हेल्प करते है. इससे उन्हें ख़ुशी का एहसास होता है.
अगर आप अपनी सेल्फ़ -एस्टीम को बूस्ट करना चाहते हो तो आपको पहले दो बिल्डिंग ब्लॉक्स डेवलप करने पर ध्यान देना होगा तभी आप लास्ट वाला अचीव कर पाएँगे. आपको अपनी सेन्स ऑफ़ वर्थ इम्प्रूव करनी पड़ेगी और एक इंसान के तौर पर ग्रो करने के लिए ख़ुद से बिना किसी शर्त के प्यार करने की आदत डालनी होगी. इसके उल्टे जब आप दूसरों की मदद करते है तो आपको गर्व फील होता है और आप ख़ुद के प्रति और भी ख़ुशी और प्यार का एहसास करते हैं.
आप ख़ुद से दो इम्पोर्टेन्ट सवाल पूछकर भी आप अपनी सेल्फ़ -एस्टीम को बढ़ा सकते हो. पहला सवाल है: अपनी कमियों के बावजूद आप ख़ुद से कैसे प्यार कर सकते हो. दूसरा: सोचो आपकी लाइफ कितनी बैटर होगी जब आप ख़ुद और भी ज़्यादा एप्रिशिएट करने लगोगे.
याद रखे, अपनी सेल्फ़ -एस्टीम को बढ़ाने के लिए आपको अपनी सेन्स ऑफ़ वर्थ को उन एक्सटर्नल फैक्टर्स से अलग करना होगा जो आपके रास्ते की रूकावट बन रहे है. अपनी ताकत या खूबियों को एप्रिशिएट करना सीखो और कमियों को दूर करने की कोशिश करो. लोगों को या सोसाइटी के रूल्स के हिसाब से ख़ुद को कभी जज मत करो.