Bechne Ka Sabse Alag Tareeka Book

Bechne Ka Sabse Alag Tareeka

How to Sell Without Selling (Hindi)
आपके बिज़नेस को एक नया और अनोखा दृष्टिकोण देने वाली बुक।

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BRAINSCRIPTS FOR SALES SUCCESS BOOK IN HINDI

BRAINSCRIPTS FOR SALES SUCCESS -Hidden Principles of Consumer Psychology for Winning New Customers



Drew Eric Whitman

इंट्रोडक्शन 

यकीन मानिए आप कुछ भी बेच सकते है. अगर कोई आपको ये कहे तो आपको कैसा लगेगा? मान लो आप एक सेल्समैन  हो जो बड़ी मुश्किल से दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पा रहा  है और एक बड़ा सेल्समैन  बनने के सपने देखता  है. तो ऐसे में अगर कोई आपको ये कहे  कि आप अच्छी sale कर सकते हो तो क्या आपको पॉजिटिव महसूस नहीं होगा? इस बुक के ऑथर भी आपको यही फील कराना चाहते है. आप एक ग्रेट  सेल्समैन  बन सकते हो. आपके अंदर sale यानी बेच पाने का पोटेंशियल है. बस आपको कुछ प्रिंसिपल्स फॉलो  करने होंगे और सेलिंग में कुछ स्क्रिप्ट्स शामिल करने होंगे और ये बात हम गारंटी से कहते है कि ये स्क्रिप्ट्स इतनी इफेक्टिव है कि आप  लोगों  को कुछ भी खरीदने के लिए राज़ी  कर सकते हो. 


इस समरी  में हम कंज्यूमर साइकोलॉजी  और  इंसान की बेसिक डिजायर यानी इच्छा  जैसे टॉपिक्स पर डिसकस करेंगे. अगर आप अपने प्रोडक्ट को इन इच्छाओं के साथ जोड़ देते हो तो लोग नैचुरली आपके प्रोडक्ट की तरफ attract   होंगे. आप इस समरी  में कुछ ऐसे प्रिंसिपल्स के बारे में जानेंगे  जो आपकी सेल्स बूस्ट करने में हेल्प करेंगी. उनमें से कुछ है reciprocation, redundancy, elaboration, matching और mirroring, वगैरह. इस समरी  में दिए गए example और स्क्रिप्ट की हेल्प से आपको कई  आईडिया मिलेंगे. 


तो क्या  अब आप कुछ बेचने  के लिए रेडी हैं? तो चलिए शुरू करते हैं.   


From Consumer Psychology to Sales

एक  सेल्समैन  आखिर कौन होता है? ये एक ऐसा  इंसान है जो किसी प्रोडक्ट या सर्विस को बेचने का काम करता है और इसके लिए उसे अपने prospect यानि कंज्यूमर के हर एक्शन को करीब से देखना पड़ता है, उसे काफी सोच समझकर अपनी बात रखनी पड़ती है और खुद ऐसे एक्शन लेने होते है जो उसके कस्टमर  से मैच कर जाएँ,  तब जाकर उसकी सेल पूरी हो पाती है. देखा जाए तो एक  सेल्समैन  किसी सेल्स लेबोरेट्री में काम कर रहे साइंटिस्ट से कम  नहीं  है, जिसका गिनी पिग है उसका कंज्यूमर.  


ज़्यादातर सेल्समैन बुक्स में दिए गए वही  घिसे-पिटे तरीके यूज़ करके कुछ बेचने की कोशिश करते है. जैसे कि “सुनो ज़्यादा और बोलो कम”, “हमेशा हंसकर कस्टमर के साथ पेश आओ” वगैरह. बेशक ये तरीके भी बुरे  नहीं  है लेकिन अब ये उतने इफेक्टिव  नहीं  रहे जितना कि किसी वक्त में हुआ करते थे. ये बिलकुल ऐसा ही है जैसे आप एक .38 स्पेशल पिस्टल लेकर जंग के मैदान में उतर रहे हो जबकि आपके पास  6000 राउंड per मिनट की मिनी गन हो. अब आप ही बताओ आप क्या चूज़ करोगे? बेशक  कोई कम अक्ल का  इंसान भी सेकंड ऑप्शन ही चूज़ करेगा यानि अगर आपके पास बैटर चीज़ है, सेल्स पूरा करने के लिए इफेक्टिव मेथड्स मौजूद हैं तो आप भला क्यों वही घिसे-पिटे पुराने तरीके यूज़ करोगे?  ज्यादातर  सेल्समैन  अपने प्रोडक्ट को पहले थोडा स्टडी करते है, फिर थोड़ी बहुत मार्केट रिसर्च  करके और अपने कॉम्पटीटर्स को स्टडी करके सेल्स की बेसिक टेक्नीक सीखते है जो वो सेल्स करते वक्त यूज़ करते है जिसके चलते उन्हें रिजल्ट  भी काफी एवरेज  मिलते है.           


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लेकिन साइकोलॉजिकल   सेल्समैन  कुछ अलग  होते है. वो सेल्स करते वक्त ऐसी पावरफुल  कंज्यूमर साइकोलॉजी का  टेक्नीक यूज़ करते है जो उन्हें अपने  प्रॉस्पेक्ट  के माइंड में झाँकने का मौका देती है. उन्हें पता होता है कि कंज्यूमर को कैसे मनाकर  उसे अपनी पॉकेट से क्रेडिट कार्ड निकालने के लिए मोटिवेट करके sales  क्लोज़ करनी है. वैसे ये सारी टेक्नीक्स सीखने में मुश्किल नहीं है बल्कि हर कोई इन्हें सीख सकता है. आपको इन्हें यूज़ करने के लिए साइकोलोजिस्ट होने की भी जरूरत  नहीं  है. आपको बस पता होना चाहिए कि इन्हें कब, कहाँ  और कैसे अप्लाई करना है.  हालाँकि ज्यादातर salesman को इन टेक्नीक्स की पहले से नॉलेज़ होती  है पर फिर भी वो इन्हें अप्लाई करना  नहीं  चाहते या यूं कह ले कि अप्लाई करते ही नहीं है. आखिर ऐसा क्यों है?      


मान लो कोई वेटर है जो एक रेस्टोरेंट में काम करता है. अब जैसा कि सब जानते है वेटर की जॉब काफी मुश्किल होता  है क्योंकि उसे  डेली कई  कस्टमर्स को  अटेंड करना पड़ता है. जिस रेस्टोरेंट में ये वेटर काम करता है वो अपनी एडवरटाईजिंग में हज़ारों डॉलर खर्च करता है और उनके शेफ भी एकदम बेहतरीन खाना बनाते है. इस वजह से ये रेस्टोरेंट काफी पॉपुलर है जिसके कारण  वेटर को दिन-रात मेहनत करनी पडती है. लेकिन हम इस एक वेटर की बात करे तो ये अपना काम बिल्कुल ढ़ंग से नहीं करता है. सबसे पहले तो इसे ये ही  नहीं  पता है  कि  रेस्टोरेंट के मेन्यू में क्या-क्या आइटम है. ऊपर से ये कस्टमर्स से काफी उखड़ा हुआ व्यवहार करता है. इससे एक भी काम ठीक से  नहीं  होता. हर काम में गडबड करना इसकी आदत बन चुकी है. अब आप ही सोचिए अगर ये अपना काम सही तरीके से और पूरी मेहनत से करता तो कितना पैसा कमा सकता था. 


सेल्समैन  को हम इसी वेटर से कम्पेयर कर सकते है. हालाँकि उन्हें पता होता कि कैसे अच्छी परफॉरमेंस  दी जाती है लेकिन इसके बावजूद वो  एफर्ट नहीं डालना चाहते. हालाँकि पुरानी  टेक्नीक भी  काम करेगी तो भी एक पॉइंट पर आकर ये उतनी इफेक्टिव  नहीं  रह जाती हैं. मान लो अगर सारे सेल्समैन  अपने कस्टमर्स पर वही सेम टेक्नीक अप्लाई करेंगे तो क्या नतीज़ा होगा. किसी का कोई फायदा  नहीं  होगा. ना कस्टमर्स बनेंगे और  ना सेल होगी. सेल्स पूरा  करने के लिए कोई सीक्रेट या ट्रिक ही  नहीं  बचेगी. ऐसे में कंज्यूमर साइकोलॉजी के  टेक्नीक यूज़ करके आप ईजिली कस्टमर्स बना सकते है. बस आपको उन्हें वही देना है जो वो चाहते है. आप उन्हें सामान ख़रीदते  वक्त डिसीजन लेने में हेल्प कर सकते है जो आपके काम को बहुत वैल्यू दिलाएगा. 

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