Bechne Ka Sabse Alag Tareeka Book

Bechne Ka Sabse Alag Tareeka

How to Sell Without Selling (Hindi)
आपके बिज़नेस को एक नया और अनोखा दृष्टिकोण देने वाली बुक।

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The Intelligent Investor in Hindi

 The Intelligent Investor in Hindi





इंट्रोडक्शन
 
इन्वेस्टमेंट पर लिखी ये बुक खुद वॉरेन बफ़ेट रेकमंड करते हैं तो ज़ाहिर है ये बुक ऐसे ही  लोगों  की फेवरेट बुक  नहीं  है. बेंजमिन ग्राहम जो इस बुक के ऑथर है और जो फादर ऑफ़ वैल्यू इन्वेस्टिंग भी कहे जाते है, उन्होंने अपनी इस बुक को कई ऐसी स्ट्रेटेज़ी शेयर की है ताकि इसे पढ़ने  के बाद आप भी स्टॉक मार्केट को मात देकर बेहतर परफॉर्म कर सकते है. 
इस समरी  में सब कुछ दिया है, bond से लेकर स्टॉक्स, स्ट्रेटेज़ी, टैक्टिस, रिस्क और रिपोर्ट तक सब कुछ! साथ ही ग्राहम ने अपनी थ्योरीज़ और आईडियाज़ को समझाने के लिए कई सारे रियल लाइफ एक्सपीरियेंस भी शेयर किए है. 
ये जानी-मानी बुक किसी फाईनेंस मार्केट बाईबल से कम नहीं है जो हर  इंवेस्टर  को कम से कम एक बार जरूर पढ़नी चाहिए!

Investment versus Speculation: Results To Be Expected By The Intelligent Investor
Chapter 1
बेंजमिन ग्राहम इसमें इन्वेस्टर्स और स्पेकुलेटर्स की बात करते है और बताते है कि कैसे ये दोनों टर्म एक-दूसरे के opposite जाते  है. साथ ही वो कुछ लेसन भी देते हैं ताकि रीडर्स कंफ्यूज़ होकर दोनों को एक ही ना समझ ले. 
ये दोनों टर्म  काफी इम्पोर्टेंट है क्योंकि फाईनेंस  मार्केट  में आप अक्सर  लोगों  को या आप खुद भी इन दोनों के  बीच कंफ्यूज़ होते हुए देख सकते है. तो हम बताते है, एक स्पेकुलेटर वो होता है जिसकी खुद की वेल्थ बिल्ड होने के चांस कम होते है क्योंकि वो दूसरों की वेल्थ बिल्ड करता है. ये लोग प्रॉफिट कमाने के लिए रिस्क लेने को तैयार रहते है और अपनी एजुकेशन और नॉलेज के बेसिस  पर अंदाजे लगाते है कि मार्केट का रुख किस तरफ होगा. अब बात करते है  इंवेस्टर  की. एक  इंवेस्टर  इसके एकदम opposite करता है. 
वो इन्वेस्ट करने से पहले स्टॉक्स को केलकुलेट कर लेता है. वो अपने लिए वेल्थ बिल्ड करता है नाकि दूसरे  के लिए. वो जानता है कि स्टॉक के प्राइस ऊपर जा सकते है क्योंकि कोई और प्राइस से ज़्यादा पे करने वाला है.  इंवेस्टर  खुद के लिए पैसा कमाते है जबकि स्पेकुलेटर ब्रोकर के लिए पैसा कमाते है. स्पेकुलेटर short  पीरियड के लिए इन्वेस्ट करते है और अगर वो मार्केट बीट भी कर ले तो डिसीजन सही निकलने पर बड़ी-बड़ी हांकने लगते है.चाहे उनकी स्ट्रेटेज़ी कितनी ही डम्ब या डेंजरस क्यों ना हो, फिर भी वो अपना टेम्परेरी प्रॉफिट का दिखावा  करने से बाज़  नहीं  आते.  वही दूसरी तरफ  इंवेस्टर  कुछ साबित नहीं करना चाहते. उन्हें टेम्परेरी प्रॉफिट में कोई इंटरेस्ट  नहीं  है और ना ही वो जल्दबाजी में कोई डेंजरस स्टेप लेते है. मान लो आपको कहीं जाना है, तो आप ये सोचकर 65 की स्पीड से कार ड्राइव करते हो कि दो घंटे में तो आप पहुँच ही जाओगे. लेकिन क्या आप और जल्दी के चक्कर में 130 की स्पीड से ड्राइव करके अपनी लाइफ को रिस्क में डालेंगे? नहीं ना!
स्पेकुलेटर्स भी असल में यही करते है. ऑनलाइन ट्रेडिंग स्पेकुलेटिंग का ही एक पहलू है.  
1990 के दौर में ये पैसे कमाने का एक ईज़ी जरिया माना जाता था. इसके लिए कई सारे ad भी आया करते थे जो  लोगों  को ऑनलाइन ट्रेड के लिए एनकरेज करते थे. 1999 का दौर आते-आते करीब 6 मिलियन लोग ऑनलाइन ट्रेडिंग से जुड़ चुके थे. दिसम्बर और जनवरी के टाइम में छोटे  स्टॉक्स बड़े प्रॉफिट  कमाया करते थे. ऑनलाइन ट्रेडिंग को लोग काफी बड़े पैमाने पर प्रोमोट किया करते थे और दूसरों को भी ऐसा ही करने के लिए कहते थे. लेकिन जब ज्यादा से ज्यादा लोग इसमें जुड़ने लगे तो रिटर्न भी कम मिलने लगा. एक और टेक्नीक हैं “Foolish Four” जिसे 1990 के टाइम में बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया था. इसमें आपको सिर्फ ये करना होता है कि एक फाईनेन्स इंडेक्स में लिस्टेड 5 स्टॉक को choose करो, सबसे कम प्राइस वाले स्टॉक को हटा दो, सेकंड लोवेस्ट वाले स्टॉक में 40% पैसा लगाओ और बाकि बचे तीनों स्टॉक में 20-20% पैसा लगाना चाहिए. ये प्रोसेस तब तक रिपीट  करो जब तक कि आप अच्छा ख़ासा पैसा नहीं कम लेते. 
बेशक, ये तरीका उतना काम  नहीं  आया जितना कि  लोगों  को उम्मीद थी. मार्केट को गिराने के बजाय के उन हजारो  लोगों  की ज़िंदगी बर्बाद हो गई जिन्होंने इस स्कीम के हिसाब से अपना पैसा इन्वेस्ट किया था. तो जब स्पेकूलेटिंग और इन्वेस्टिंग की बात आये तो आपका किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? 
बस तीन चीज़े याद रखना. जब आप सिर्फ स्पेकुलेट कर रहे होते है तो ये कभी मत सोचना कि आप इन्वेस्ट कर रहे है. 
जैसे ही आप स्पेकुलेंटिंग को सीरियसली  लेना शुरू करते हो, ये आपके लिए खतरनाक हो जाता है. इसलिए आपको स्पेकुलेटिंग में काफी सोच-समझकर ही पैसा लगाना चाहिए. जैसे एक इंटेलिजेंट गैम्बलर कसिनो में अपना सारा पैसा ना लगाकर थोडा-बहुत लगाता है, इसी तरह आपको भी स्पेकुलेटिंग में 10% से ज्यादा पैसा कभी  नहीं  लगाना चाहिए. गैम्बलिंग यानि सट्टा खेलना इन्सान की एक फितरत है जिसे लोग चाह कर भी नहीं दबा पाते. लेकिन फिर भी आपको इसकी लत से बचना चाहिए, जितना हो सके खुद पर कण्ट्रोल करने की कोशिश करे. सिर्फ यही एक तरीका है जो हमे स्पेकुलेशन और इन्वेस्टमेंट के बीच कंफ्यूज़ होने से बचा सकता है. 

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