RICHER, WISER, HAPPIER: HOW THE WORLD’S GREATEST INVESTORS WIN IN MARKETS AND LIFE in Hindi
इंट्रोडक्शन
दुनिया के सभी ग्रेट इंवेस्टर दूसरे ग्रेंट इंवेस्टर से इन्फ्लुयेंस्ड रहते हैं. इसलिए अगर आप भी एक ग्रेट इंवेस्टर बनना चाहते हो तो आपको भी कुछ ग्रेट इंवेस्टर के बारे में जानना चाहिए! ये समरी आपको इस सेंचुरी के कुछ बेस्ट इंवेस्टर से रूबरू कराएगी जैसे कि चार्ली मंगर , सर जॉन टेम्पलटन और पीटर लिंच और साथ ही उनकी टीचिंग्स और फाईनेंशीयल प्रिंसिपल्स से भी आपको इंट्रोड्यूस कराएगी. तो आइए शुरू करते है ये समरी और मिलते है ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी के कुछ बेस्ट इंवेस्टरसे.
The Man Who Cloned Warren Buffett
सुबह 7 बजे मैं मोहनीष पाबराई के साथ इण्डिया के वेस्टर्न कोस्ट पर ड्राइव कर रहा था. मोहनीष पाबराई एक जाने-माने इंवेस्टर है जो कैलिफोर्निया से इण्डिया 40 छोटी लड़कियों से मिलने आए थे. तो प्रोग्राम कुछ ऐसा था कि एक चैरिटेबल फाउंडेशन “दक्षिणा” के लिए हम इन लड़कियों से मिल रहे थे.
ये चैरिटेबल ट्रस्ट ऐसे परिवारों के बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाती है जो बेहद गरीब होते है. इन बच्चों की पढाई-लिखाई का जिम्मा उठाकर इन्हें आईआईटी के मुश्किल एंट्रेंस एक्जाम के लिए तैयार किया जाता है. अब तक कोई एक मिलियन से भी ज्यादा स्टूडेंट्स इस एग्जाम के लिए अप्लाई कर चुके है पर सिलेक्टसिर्फ 2% हुए है. पाबराई इन लड़कियों की क्लास रूम में गए और उन्हें एक सवाल हल करने के लिए दिया. उन्होंने ब्लैक बोर्ड पर एक equation लिखा: n is a prime number >= 5. Prove that n^2 - 1 is always divisible by 24.
दस मिनट बाद एक छोटी लड़की अलीसा ने अपना हाथ उठाया और बोली” ये सिर्फ एक थ्योरी है. अलीसा को आंसर एक्सप्लेन करने को कहा गया तो उसने ब्लैक बोर्ड पर अपना सोल्यूशन एक्सप्लेन करके दिखाया. पाबराई ने बाद में मुझे बताया कि उस लड़की में पोटेंशियल है और वो आईआईटी एक्जाम में टॉप 200 में आ सकती है. उसी दिन दोपहर के वक्त छोटे-छोटे बच्चों ने पाबराई को घेर लिया और उन पर सवालों की बौछार कर दी.
एक बच्चे ने पूछा,“सर, आप इतना पैसा कैसे कमा लेते हैं?”
इस पर पाबराई ने जवाब दिया कि वो पैसे को कम्पाउंड करते है.
अपनी बात को एक्सप्लेन करने के लिए उन्होंने बताया कि उनकी अठारह साल की बेटी ने समर जॉब से $4,800 कमाए थे. पाबराई ने वो पैसे उसके रिटायरमेंट अकाउंट में जमा करवा दिए. पाबराई ने बच्चों से पूछा“बताओ साल के 15% के हिसाब से अगले 60 सालों में ये पैसा कितना हो जाएगा?”
और मिनटों में ही बच्चों ने आंसर दे दिया“$21 मिलियन”.
उन्होंने बच्चों से पूछा“तो बताओ बच्चों , अब कभी तुम पॉवर ऑफ़ कम्पाउंडिंग भूलोगे?”
गाँव के बच्चों ने ज़ोर से जवाब दिया“नहीं सर.”
पाबराई कोई खानदानी अमीर नहीं थे. वो एक गरीब परिवार में पैदा हुए थे. उनकी फेमिली को आए दिन पैसों की तंगी का सामना करना पड़ता था. कई बार तो उन लोगों के पास घर का राशन ख़रीदने के भी पैसे नहीं होते थे. पाबराई जब स्कूल में थे तो पढने लिखने में कुछ ख़ास नहीं थे. 65 बच्चों की क्लास में वो 62 वें नंबर पर आते थे. एक दिन उनका आई क्यू टेस्ट हुआ जिसमें उन्हें काफी अच्छे स्कोर मिले थे. उस दिन से उनका कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ गया.
पहले उन्हें लगता था कि इंवेस्टर सबसे बेवक़ूफ़ लोग होते है. उन्होंने इन्वेस्टिंग क्लास लेनी शुरू की और एवरेज़ 106% लेकर फाईनल में पहुंचे. उनके प्रोफ़ेसर ने उन्हें सलाह दी कि उन्हें इंजिनियरिंग मेजर छोड़कर फाईनेंस लेना चाहिए. लेकिन पाबराई को लगता था फाईनेंस एक बेवक़ूफ़ सब्जेक्ट है जिसमें कोई भी पास हो सकता है. उनका मानना था कि फाईनेंस की पढ़ाई उनकी इंजीनियरिंग मैं केनिक्स की सिलेबस के हाफ़ जितनी भी मुश्किल नहीं है. फिर एक दिन उन्होंने पीटर लिंच की“वन अप ऑन द wall स्ट्रीट” बुक खरीदी जिसमें उन्होंने वॉरेन बफ़ेट के बारे में पढ़ा. उन्होंने पढ़ा कि 1950 में इंवेस्ट किया गया एक डॉलर 1994 में $144,523 तक पहुंच सकता है और तब उन्हें एहसास हुआ कि नहीं , वॉरेन बफ़ेट बेवक़ूफ़ तो बिलकुल नहीं थे.
उन्होंने अपनी स्ट्रेटेज़ी नहीं बनाई बल्कि सबसे skillful इंवेस्टर को ढूँढा और एनालाईज़ करने की कोशिश की कि वो इतने सक्सेसफुल क्यों है और उसकी इसी अप्रोच को उन्होंने कॉपी कर लिया. पाबराई ने अपने एक मिलियन को मल्टीप्लाई करके बिलियन में तब्दील कर दिया था! हुबहू वॉरेन बफ़ेट की तरह बनकर पाबराई ने अपने लिए दौलत के दरवाजे खोल लिए थे.