इंट्रोडक्शन
हमारे पास वक़्त लिमिटेड होता है और रोज़ के 24 घंटे भी कभी-कभी कम लगने लगते हैं। लेकिन आप अपना time कैसे खर्च करते हैं?
क्या आप एक ऐसे इंसान है, जो अपने वक़्त को अहम कामों में लगाते हैं?
या फिर आप एक ऐसे इंसान हैं, जो टालमटोल करते हुए फ़ालतू के कामों में लगे रहते हैं?
मज़ेदार काम करने में मज़ा तो आता है लेकिन कहीं ना कहीं इसकी आदत सी लगने लगती है और अपनी इच्छाओं को काबू में करना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। जैसे, मान लीजिए कि आपने एक नई टीवी सीरीज़ देखी। हो सकता है कि आप एक एपिसोड देखने के बाद अगला एपिसोड देखने लगें और कहें कि, “बस, आज के लिए ये लास्ट एपिसोड है”।
वैसे, टीवी देखना या ऑनलाइन content stream करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन घंटों उस पर लगे रहने से आपकी ज़िंदगी पर बुरा असर पड़ता है। ऐसा करके आप समय बर्बाद कर रहे हैं और ज़रूरी कामों को कल पर टाल रहे हैं।
सोचिए कि अगर आप उन घंटों को इसके बजाय पढ़ने पर लगाते तो? आप स्कूल में बेहतर परफॉर्म करेंगे और आपको सक्सेसफुल होने के ज़्यादा मौके मिलेंगे।
यही चीज़ आपको “मास्टर यॉर टाइम” सिखाने वाला है। इस समरी में, आप ये जानेंगे कि अपने वक़्त का इस्तेमाल कैसे किया जाए। आप प्रोडक्टिविटी और procrastination यानी टालमटोल करने की आदत के बारे में जानेंगे। आप अपने वक़्त को अहम कामों पर बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने के टिप्स भी सीखेंगे।
अगर आप अपनी ज़िंदगी को बदलना चाहते हैं और प्रोडक्टिव बनना चाहते हैं, तो ये सीखने के लिए इस मौके का इस्तेमाल करें और अपने वक़्त के बादशाह बनें। तो आइए शुरू करते हैं।
Understanding Productivity
दोस्तों और फैमिली के साथ अच्छा रिश्ता बनाए रखने के साथ-साथ इम्पोर्टेन्ट और meaningful काम करना ही प्रोडक्टिविटी कहलाता है। अपने वक़्त के बादशाह बनने का मतलब यही है कि आप इसे अपनी हॉबीज़, काम और सोशल रिलेशनशिप्स के लिए सही तरीके से इस्तेमाल करते हैं। इससे भी बहुत फर्क पड़ता है कि आप इसके प्रति कितने कमिटेड हैं।
प्रोडक्टिविटी का मतलब है कि आप अपने कामों को कैसे मैनेज करते हैं और आप उनमें कितनी एनर्जी लगाते हैं। आइए, इसे दूसरे तरीके से समझते हैं। पूरे दिन में आपकी एनर्जी का लेवल बढ़ता और घटता रहता है। इसलिए आपकी एनर्जी का लेवल सबसे ज़्यादा कब रहता है, ये जानना ज़रूरी है।
जैसे, आपकी एनर्जी शाम के मुकाबले, सुबह के वक़्त ज़्यादा होती है। इसलिए, सुबह का एक घंटा ज़रूरी चीज़ों को करने में लगाना, आपकी प्रोडक्टिविटी को बढ़ा देता है। आपको इसे बिना इधर-उधर ध्यान भटकाए, एक काम को इफेक्टिव तरीके से पूरा करने में लगाना चाहिए।
अपनी प्रायोरिटीज़ को पहचानना, ये जानने में मदद करता है कि आपको किन कामों पर ध्यान देना चाहिए वरना आप अपना ज़्यादातर वक़्त फ़ालतू के कामों पर बिता देंगे।
एनर्जी साईकल में 6 phase होते हैं। पहले फेज़ में आपको उस एनर्जी को बचाना है, जो आप अपने नींद की quality को बढ़ाकर, पौष्टिक खाना खाकर और रोज़ाना एक्सरसाइज़ करके क्रिएट कर सकते हैं। जब आपके पास पूरी एनर्जी होती है तो दूसरे फेज़ में आपको पता होना चाहिए कि उस एनर्जी को कहाँ और कैसे इस्तेमाल करना है।
इस साईकल का तीसरा फेज़ है, एनर्जी को सबसे ज़्यादा ज़रूरी काम पर लगाना।
चौथे फेज़ में, आपको अपनी पूरी एनर्जी उस काम में लगानी चाहिए और इधर-उधर के
distractions यानी ऐसी चीज़ें जो ध्यान भटकती हैं, उन्हें दूर करना है। इसके बाद, रेगुलर ब्रेक्स लेकर अपनी एनर्जी को फिर से रिचार्ज कीजिए और इस साईकल को फिर से शुरू कीजिए।
आगे दिए गए प्रोडक्टिविटी के लेवल्स, आपको ये जानने में मदद करेंगे कि अपना वक़्त, आपको सही तरीके से कहाँ इस्तेमाल करना चाहिए। पहले लेवल में, अपने फोकस को बेहतर करने के लिए, आसपास के distractions को हटाएं। इसके बाद किसी भी काम में पूरे जोश से लगने के लिए, दूसरे लेवल में अपनी एनर्जी लेवल को, बढ़ाने की बात की गई है।
तीसरे लेवल में आपको उस ख़ास विज़न और गोल्स को डिफाइन करना है, जो आपको फोकस करने वाले काम या टास्क को पहचानने में मदद करता है।
चौथा लेवल, एक टू-डू लिस्ट और टाइम फ्रेमवर्क बनाकर, पूरे दिन के लिए सिस्टम को प्लान करने के बारे में है। पांचवे लेवल में, फैमिली, दोस्त और दूसरों के साथ घुलमिलकर सोशल लाइफ को एक्टिव रखने के लिए में कहा गया है।
चौथे लेवल में ये बताया गया है कि किसी सिस्टम का प्लान बनाना, प्रोडक्टिविटी का एक इम्पोर्टेन्ट लेवल है, लेकिन इसके लिए सिस्टम का कॉम्प्लेक्स होना ज़रूरी नहीं है। अपने प्रोडक्टिविटी सिस्टम को बनाने और उसे लॉन्ग टर्म तक इस्तेमाल करने में, मदद करने के लिए यहाँ कुछ टिप्स दिए गए हैं -
सबसे पहले, प्रोडक्टिविटी टूल्स के बारे में भूल जाइए। प्लानिंग और सिस्टम को बनाने के लिए आपको सिर्फ़ pen और पेपर का ही इस्तेमाल करना चाहिए। दूसरा, अपने प्रोडक्टिविटी लेवल्स के बारे में सोचिए, फिर एक सीधा साधा सिस्टम बनाकर, इसकी शुरुआत कीजिए। फ़िक्र मत कीजिए, क्योंकि जैसे-जैसे आप प्रोडक्टिविटी के एडवांस्ड लेवल्स पर जाएंगे, आप सिस्टम को दोबारा बनाने के साथ-साथ उसे इम्प्रूव भी कर पाएंगे।
इसके अलावा, टालमटोल करने की आदत को समझने से आपको अपनी प्रोडक्टिविटी को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। टालमटोल करना किसी भी इंसान की एक ऐसी आदत है, जिससे उसकी ताकत कम होती है। इसलिए, ये जानना आपके लिए ज़रूरी है कि आप चीज़ों को क्यों टालते हैं या मोटिवेशन कैसे काम करता है।
आप चीज़ों को क्यों टालते हैं, इसकी कुछ वजह यहाँ दी गई हैं -
पहली वजह ये है कि आपको कुछ बातें क्लियर नहीं हैं, जैसे वो काम कितना इम्पोर्टेन्ट है, आपको क्या करने की ज़रुरत है और आप उसे कैसे पूरा करेंगे। इसे बदलने के लिए, खुद से पूछिए कि क्या आप सच में मानते हैं कि वो काम इम्पोर्टेन्ट है। इसके बाद उन वजहों को पहचाने जिससे ये पता चले कि उस काम को करना भी चाहिए या नहीं।
इन वजहों को जानने के बाद, खुद से पूछिए कि अगर आप ये काम नहीं करेंगे, तो आगे जाकर आपको किन नतीजों का सामना करना होगा। इसके बाद, ये सोचिए कि इसे पूरा करने के बाद आप कैसा महसूस करेंगे और ये सोचकर इसकी शुरुआत कीजिए कि वो काम आसान है। अगर आपको अभी भी पक्का नहीं है कि क्या करना है, तो ज़्यादा जानने के लिए अपने सुपरवाइज़र्स से पूछें, जैसे आपको क्या एक्स्पेक्ट करना चाहिए।
अगर आप ये नहीं जानते कि काम को कैसे शुरू करें, तो पहले उसका प्लान बनाइए, इसके बाद उस काम को करने का ज़्यादा बेहतर अप्रोच के बारे में जानने लिए एक ऐसे इंसान से मदद लीजिए जो उस काम को पहले ही कर चुका है या फिर दूसरी स्ट्रेटेजीज़ के लिए ऑनलाइन सर्च कीजिए।
टालमटोल करने के पीछे दूसरी वजह ये भी है कि आप ये नहीं जानते कि मोटिवेशन कैसे काम करता है और मेंटल रुकावटों का होना, जो आपको रोकते हैं। मोटिवेशन का मतलब मोटीवेटेड महसूस करना नहीं है। जब आप किसी काम की शुरुआत करते हैं तो ये आपके एक्शन के बाद खुदबखुद ही आता है।
मेंटल रुकावट भी आपके डिसिप्लिन के आड़े आते हैं। जैसे, आप सोच रहे हैं कि कोई काम मुश्किल है। जब ऐसा होता है, तो कामों को लिस्ट करके और उन्हें अलग-अलग पार्ट्स में बांटकर, आपकउन पर एक्शन लेना चाहिए।
आपके टालमटोल करने की तीसरी वजह है आपका वो डर जिससे आपको लगता है कि आप काम को अच्छे से नहीं करेंगे। इस डर का होना ठीक है, लेकिन इसे खुद को रोकने मत दीजिए। इसके बजाय इस डर को महसूस कीजिए और काम को पूरा कीजिए। अपने माइंड में ये बात बैठा लीजिए कि किसी भी चीज़ को हमेशा और बेहतर तरह से किया जा सकता है इसलिए आपको किसी भी फेलियर या गलतियों से डरने की ज़रुरत नहीं है।
चौथी वजह है वो मेंटल वर्कलोड जिसकी वजह से आप कामों से घबराहट महसूस करते हैं। इससे निकलने के लिए, जो भी काम आपको पूरे करने हैं, उन्हें लिख लीजिए, आसान से लेकर मुश्किल कामों के हिसाब से उन्हें बाँट दीजिए, हर एक काम के लिए टाइम फिक्स कर दीजिए और ज़्यादा से ज़्यादा काम को पूरा करने की कोशिश कीजिए ।
अब जब आपने टालमटोल करने की आदत और प्रोडक्टिविटी के बारे में समझ लिया है तो आप ऐसी स्ट्रेटेजीज़ बना सकते हैं, जो आपको अपने फोकस, टाइम मैनेजमेंट और एनर्जी लेवल्स को बेहतर बनाने में मदद कर सकें। इस बात पर ध्यान दीजिए, कि आपका फ्रेमवर्क आपकी reality से मैच करता हो ताकि आप उसे सही तरीके से हासिल कर सकें।