THE NEW ONE MINUTE MANAGER
Ken Blanchard And Spencer Johnson
Introduction
अपने ऑफिस के मैनेजर के बारे में सोचिए। आप उन्हें स्ट्रिक्ट कहेंगे या अच्छा? अगर आप खुद एक मैनेजर हैं तो क्या आप खुद को रिजल्ट ओरिएंटेड के तौर पर डिस्क्राइब करेंगे या फिर पीपल ओरिएंटेड? कौन सा तरीका बेहतर है?
इस समरी में आप क्लियर गोल्स सेट करना सीखेंगे ताकि लोग यह जान सकें कि उनकी जिम्मेदारी क्या है और उनसे क्या उम्मीद की जा रही है।
आप लोगों को कुछ सही करते हुए पकड़ना और अच्छे काम करते रहने के लिए उन्हें इनकरेज करना भी सीखेंगे।
आप लोगों को गलतियों के लिए फीडबैक देना और उन्हें मनचाहे रिजल्ट की ओर गाइड करना भी सीखेंगे।
गोल्स को रिव्यु करने, अच्छे काम के लिए तारीफ करने और लोगों को वापस सही रास्ते की ओर ले जाने में सिर्फ 1 मिनट का समय लगता है।
जब आप एक मैनेजर के रूप में इन प्रिंसिपल्स को अप्लाई करतें हैं तो आपको मोटिवेटेड और प्रोडक्टिव लोगों की एक टीम मिलेगी। आपको काम करने में मजा आएगा और बहुत अच्छे रिजल्ट भी मिलेंगे।
इस समरी की मदद से जितना हो सके उतने अच्छे मैनेजर बनिए।
The Search
एक बार, एक यंग आदमी एक स्पेशल मैनेजर को ढूंढ रहे थे जो आज की बदलती दुनिया में लीड कर सकें। वह किसी ऐसे इंसान को ढूंढना चाहते थे जो लोगों को वर्क लाइफ और पर्सनल लाइफ दोनों को बैलेंस करने के लिए इनकरेज करे, ताकि दोनों मजेदार और मीनिंगफुल बन सकें। वो यंग आदमी ऐसे मैनेजर के लिए काम करना चाहते थे और खुद भी वैसा ही बनना चाहते थे।
उन्होंने इस खास तरह के मैनेजर को हर जगह ढूंढा। वो सालों तक दुनिया भर में घूमते रहे। वह छोटे कस्बों से बड़े शहरों तक गए। उन्होंने कॉरपोरेशंस, रेस्टोरेंट्स, स्टोर्स, बैंक्स, होटल, यूनिवर्सिटीज, गवर्नमेंट ऑफिस और भी कई जगह के मैनेजर्स से बात की। उस यंग आदमी ने एक पैटर्न देखना शुरू किया।
ऐसे मैनेजर्स थे जो खुद को टफ और प्रॉफिट माइंडेड बताते थे। उनके ऑर्गेनाइजेशंस जीत रहे थे जबकि लोग हार रहे थे। वहीं कुछ ऐसे मैनेजर्स थे जो खुद को अच्छे और इंसानों की परवाह करने वाले बताते थे। उनके लोग जीतते हुए दिख रहे थे लेकिन उनके ऑर्गनाइजेशंस हार रहे थे।
दुनिया के जादातर मैनेजर्स या तो रिजल्ट पर फोकस कर रहे थे या तो लोगों पर। वो या तो टफ और autocratic यानी जिन्हें लोगों की इच्छा से कोई मतलब नहीं था या फिर अच्छे और डेमोक्रेटिक थे। लेकिन यंग आदमी को लगा कि दोनों ही तरीके बेअसर हैं। यह सिर्फ आधे मैनेजर बनने जैसा था। वह निराश होकर घर लौट आए लेकिन यंग मैन को एहसास हुआ की एक इफेक्टिव मैनेजर वह इंसान होता है जो खुद को और लोगों को मैनेज करता है, ताकि ऑर्गेनाइजेशन और लोगों दोनों को ही उनकी लीडरशिप से फायदा हो।
उन्हें पता चला कि ऐसे कुछ ही इफेक्टिव मैनेजर्स है और वह अपने सीक्रेट्स उनसे शेयर नहीं करेंगे। लेकिन यंग आदमी ने एक स्पेशल मैनेजर के बारे में सुना जो पास के कस्बे में काम करते थे। उन्होंने सुना कि लोग उन मैनेजर के साथ काम करना पसंद करते हैं और उन्होंने साथ में काफी अच्छे रिजल्ट्स हासिल किए हैं।
उसने अपॉइंटमेंट फिक्स करने के लिए स्पेशल मैनेजर के असिस्टेंट को कॉल किया। मैनेजर से ख़ुद बात करके वो हैरान रह गए। मैनेजर ने कहा कि वह Wednesday की सुबह छोड़कर हफ्ते में कभी भी आ सकते हैं। यंग आदमी ने सोचा कि मैनेजर के पास इतना समय कैसे हो सकता है, फिर भी वो इस मीटिंग को लेकर एक्साइटेड थे।