WABI SABI - Japanese Wisdom for a Perfectly Imperfect Life
By Beth Kempton
इंट्रोडक्शन
चलिए हम इस समरी की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। इस बुक की ऑथर बेथ केम्पटन एक बार जापान के हाईड-ताकायामा के बाथहाउस में गई जहाँ उन्होंने एक बड़े शेयर्ड टब में एक घंटा नहाने के लिए तीन यूरो यानी 420 येन दिए। वहां के रूल्स को फॉलो करते हुए बेथ ने अपने सारे कपड़े उतारकर उन्हें लॉकर रूम में रख दिए। एक प्लास्टिक की चप्पल के अलावा उनके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था।
बाथहाउस के अंदर भाप ही भाप थी। यह नहाने की ऐसी जगह थी जहाँ औरतें बाल्टी और डिपर का यूज करके नहा सकती थी। बाथहाउस के अंदर लगे शीशों को देखकर बेथ हैरान हो गई। दो साल पहले प्रेग्नेंसी की वजह से अपने शरीर की बढ़ी हुई चर्बी को देखकर वह अनकंफर्टेबल महसूस करने लगीं।
जब बेथ अपने बाल धो रही थीं तो उनकी नज़र कमरे में दूसरी औरतों पर पड़ी। वे सभी अपनी उम्र और अपने शरीर के आकार की परवाह किए बिना पूरे कॉन्फिडेंस से नहा रही थी। वे सभी अपने काम में इतनी बिजी थी कि किसी ने बेथ की तरफ देखा तक नहीं। वे न तो अपने साइज़ को लेकर और ना ही अपने रंग रूप को लेकर शर्मिंदा महसूस कर रही थी।
बेथ ने देखा कि एक बूढी औरत जकूज़ी में अपने पैर डुबो रही थी। दो दोस्त आपस में हंसकर बातें कर रहे थे और एक माँ अपनी जवान बेटी के साथ नहा रही थी। यह सब देखकर बेथ ने सोचा कि इससे उस लड़की का कॉन्फिडेंस कितना बढ़ जाएगा।
वेस्टर्न कंट्रीज़ में लड़कियों को परफेक्ट दिखने के लिए उन पर प्रेशर डाला जाता है। उनका शरीर फिट हों, वह सुंदर दिखती हों, उनकी स्किन गोरी हों, तभी उन्हें सोसायटी एक्सेप्ट करती है। यह ऐसे स्टैंडर्ड है जिन्हें बदलने की कोशिश की जा रही है लेकिन हमें इस बदलाव के लिए अब भी लंबा रास्ता तय करना होगा।
हम खुद को अपनी कमियों के साथ वैसे ही स्वीकार करें जैसे हम हैं, यह वाबी साबी का सबक है। यह ऐसी थ्योरी है जिसमें लड़के, लड़कियों, औरतों और आदमियों का जीवन बदलने की ताकत है।
वाबी साबी का मतलब है कि लाइफ कभी परफेक्ट और परमानेंट नहीं होती। यह समरी आपको सिखाएगी कि अपनी ख़ामियों और दुःख में सुंदरता और ख़ुशियों के पल कैसे ढूंढना चाहिए।