Bechne Ka Sabse Alag Tareeka Book

Bechne Ka Sabse Alag Tareeka

How to Sell Without Selling (Hindi)
आपके बिज़नेस को एक नया और अनोखा दृष्टिकोण देने वाली बुक।

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WHEN TO ROB A BANK BOOK IN HINDI

WHEN TO ROB A BANK



Steven D. Levitt And Stephen J. Dubner

इंट्रोडक्शन 

2005 में  स्टीवन  Levitt और  स्टीफ़न Dubner दुनिया में Freakonomics लेकर आए। अपनी बेस्ट सेलिंग बुक में उन्होंने हर चीज की छिपे हुए साइड की जाँच करने का दावा किया। लेकिन असल में वह उन मुद्दों  के बारे में सोचने का एक नया तरीका ला रहे थे, जिनका हम सामना करते हैं।


छोटे रूप में कहा जाए तो Dubner और Levitt ने दुनिया को इकॉनमी को देखने का एक नया तरीका सिखाया। इसका मतलब है किसी परेशानी की जड़ का पता लगाना और उस जानकारी को ज्यादा असरदार सॉल्यूशंस डेवलप करने के लिए इस्तेमाल करना। ऑथर्स खासतौर पर दो फैक्टर्स में इंटरेस्टेड थे, इकोनॉमिक्स के लॉज़ और इंसान की साइकोलॉजी।


Freakonomics बुक्स के जरिए Dubner और Levitt ने कई टॉपिक्स को कवर किया, लेकिन इतना काफी नहीं था इसलिए उन्होंने Freakonomics नाम का ब्लॉग शुरू किया, जहां वो हर हफ्ते पोस्ट करते थे। इसके जरिए वो सोशल और इकोनामिक problems से जुड़े और भी बड़े problems को कवर कर पाए।


यह समरी Freakonomics ब्लॉग के पोस्ट को इकट्ठा कर के बनाई गई है। इसमें गवर्नमेंट, क्राइम, धोखा, प्राइसिंग और डर के थीम के बारे में बात की गई है। आप इन सभी problems के पीछे काम करने वाली इकॉनोमिक force  के बारे में सीखेंगे। हर चैप्टर के साथ दुनिया के बारे में आपकी नॉलेज और भी बढ़ जाएगी. 


We Were Only Trying to Help


क्या आप अपने गवर्नमेंट और जिन पॉलीटिशियंस से वो बना है उसे पसंद करते हैं? इस सवाल का जवाब बहुत कम लोग ही हां में देंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि गवर्नमेंट बहुत कम ही लोगों के हक में काम करतीं है। वो अक्सर करप्ट और अपने काम में inefficient या बेकार  होती हैं। लेकिन बदकिस्मती तो यह है कि हमें लॉ एंड ऑर्डर  बनाए रखने के लिए गवर्नमेंट की जरूरत होती  है।


दुनिया भर में लगभग हर देश में  लाइब्रेरी बनी हुई हैं। लोग इसे information के सेंटर के रूप में देखते हैं। अब सोचिए कि अगर दुनिया में  लाइब्रेरी नहीं होगी तो क्या होगा? लोगों के  एक ग्रुप ने इस कॉन्सेप्ट  के बारे में सोचा और दुनिया को इस बारे में बताना चाहते हैं। क्या आपको लगता है कि वो कामयाब होंगे?


पहली बार में इस सवाल का जवाब बहुत आसान लगता है क्योंकि  कोई भी लाइब्रेरी को नापसंद नहीं करता। एक ऐसा इंसान जो कभी भी वहां न गया हो, वह एक ऐसी जगह जो बुक उधार पर  देती है, बनाने के खिलाफ नहीं होगा। लेकिन दो तरह के लोग हैं जो लाइब्रेरी को नापसंद करते हैं, वह है ऑथर्स और पब्लिशर्स।


मान लीजिए एक लाइब्रेरी एक किताब खरीदती है और कुछ सालों में इसे 50 लोगों को उधार पर देती है। इससे क्या होगा?  सभी 50 लोग  किताब नहीं खरीदेंगे, लेकिन मान लीजिए कि उनमें से कम से कम 5 ने किताब  खरीद ली तो  ऑथर्स और पब्लिशर्स 5 गुना ज्यादा पैसे कमाएंगे। 


लाइब्रेरी पढ़ने को काफी सस्ता बना देता है। लेकिन इसके होने से ऑथर्स और पब्लिशर्स को कम प्रॉफिट होता है। आज के समय में ऐसे  सिस्टम की शुरुआत करना मुश्किल है। मॉडर्न इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉ किसी को भी बुक उधार देने पर  रोक लगा  सकता है।


बड़ी पब्लिशिंग कंपनीज भी  गवर्नमेंट  पर दबाव बनाएंगी। सबसे अच्छा यह होगा कि लाइब्रेरी को ऑथर्स को रॉयल्टी देनी पड़ सकती है। इसका मतलब है ऑथर को, उनकी बुक रीडर्स को उधार पर  देने के लिए, हर साल annual फीस देना। 


लाइब्रेरी सिस्टम सिर्फ इसलिए इस तरह काम कर पाती है क्योंकि यह हमारे कल्चर का हिस्सा है। अगर इस आइडिया को 21वीं सेंचुरी में लाया गया होता तो वो बहुत अलग तरह से काम करता। इस example  का पॉइंट यह दिखाना है कि दुनिया लगातार बदल रही है। कुछ कॉन्सेप्ट्स  जिन्हें हमने नॉर्मल मानकर अपनाया है, हो सकता है कि मॉडर्न सोच के हिसाब से वो बेमतलब हों।


नैशनल हेल्थ सर्विस (NHS) ब्रिटेन की फ्री हेल्थकेयर सिस्टम है। इसके कॉस्ट को छोड़कर यह बाकी सभी एरिया में  समझ में आता है। 2021 तक, ब्रिटेन के GDP का लगभग 12% NHS पर खर्च किया गया था। NHS के खर्चों की बारीकी से जांच करने पर पता चला  कि यह  गवर्नमेंट  को इतना महंगा क्यों पड़ता है। लोग सिर्फ इसके फ्री होने के कारण फ्री हेल्थ केयर सिस्टम का इस्तेमाल जरूरत से ज्यादा करते हैं। 


इसे हल करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? एक इकोनॉमिस्ट ने एक मॉडल सजेस्ट किया  कि लोगों को पैसे दिए जाने चाहिए। उनके हिसाब से, ब्रिटिश  गवर्नमेंट  को वहां रहने वाले हर आदमी  को साल में 1000 पाउंड देना चाहिए। वे इस पैसे का इस्तेमाल अपने हेल्थ पर होने वाले खर्चों के लिए कर सकते हैं।


इस मॉडल के हिसाब से, लोगों को 2000 पाउंड तक के अपने मेडिकल बिल्स को पूरा पे करना होगा। अमाउंट £2000 से £8000 के बीच होने पर उन्हें इसका आधा पे करना होगा। साल में £8000 से ऊपर जो भी खर्च होगा, उसका पूरा खर्च  गवर्नमेंट उठाएगी। 


यह मॉडल पक्का करता है कि लोग बेवजह हॉस्पिटल ना जाएं। इस तरह पैसे बचाने के लिए वो मामूली सर्दी-ज़ुकाम और सिरदर्द के लिए घर पर ही रहेंगे। उनके पास  हर साल मेडिकल इमरजेंसी पर खर्च करने के लिए £1000 है। यह अमाउंट लोगों को अचानक बीमार होने पर बैकअप देगी।


इससे गंभीर  बीमारी वाले लोग भी  सेफ रहेंगे क्योंकि उनका खर्च अक्सर £8000 से ज्यादा हो जाता है। इसमें एक प्रॉब्लम ये थी कि अगर आपका मेडिकल बिल बिल्कुल £8000 है तो  ऐसे में आपको अपनी जेब से £4000  देने होंगे। 


ये सिस्टम NHS के खर्च को 15% तक कम कर सकता है। इसमें चिंता करने वाली इकलौती बात यह है कि यह अभी भी कुछ लोगों पर हेल्थ केयर के खर्चे का भारी बोझ डालता है। लेकिन इसी तरह दुनिया काम करती है। जैसे, जब आपकी कार या टीवी खराब होने पर  गवर्नमेंट  आपकी मदद नहीं करती है तो यह आपके सभी मेडिकल बिल्स क्यों  भरे?


गवर्नमेंट के खर्च का वो हिस्सा जिसे लोग कम करना चाहते हैं  वह है पॉलीटिशियंस की सैलरी। लेकिन सिंगापुर में, गवर्नमेंट वर्कर्स, देश में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले लोग हैं। 2007 में, सिंगापुर के प्राइम मिनिस्टर  ने 3.1 मिलियन डॉलर कमाए थे। यह अमेरिका के प्रेसिडेंट की सैलरी से 7 गुना ज्यादा था। 


सिंगापुर इस बात को ये कहकर सही बताता है कि   गवर्नमेंट  में पढ़े लिखे लोगों को बनाए रखने के लिए उन्हें ज्यादा सैलरी देने की जरूरत है। प्राइम मिनिस्टर  यह भी कहते हैं कि करप्शन को कम करने के लिए ज्यादा सैलरी देना  जरूरी है। लेकिन, दूसरे देशों में लोग इस तरह की सैलरी देने  के लिए तैयार नहीं करेंगे। वो इसका मजबूती से विरोध करेंगे।


इसका दूसरा तरीका है पॉलीटिशियंस को उनके प्रोजेक्ट के रिजल्ट के हिसाब से इनाम देना। अभी के सिस्टम में एक पॉलिटिशियन के मोटिवेशन के बारे में सोचिए। वे फिर से इलेक्शन जीतना चाहते हैं और ज्यादा पावर पाना चाहते हैं और अमीर बनना चाहते हैं इसलिए वो ऐसी चीजें करने पर ध्यान देते हैं जो लोगों को कुछ समय के लिए खुश कर सके। वो गरीबी, क्राइम या खराब एजुकेशन सिस्टम जैसी प्रॉब्लम जो बड़ी problems हैं उन्हें सोल्व  नहीं करते हैं। 


लेकिन क्या होगा अगर हम उनकी मोटिवेशन के सोर्स को बदल दें? अगर एक पॉलिटिशियन  एजुकेशन के लेवल को 10% इंप्रूव करने के लिए कोई प्रोजेक्ट शुरू कर पाते हैं तो उसे 1 million डॉलर देना चाहिए । अब उन्हें दोबारा चुने जाने की चिंता नहीं होगी। भले ही वे इलेक्शन हार जाएँ लेकिन अगर वो  प्रोजेक्ट 10 साल में कामयाब हो जाता है तो वो ज्यादा अमीर हो जाएँगे।

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